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पाठ ४ : सर्वनाम; रूप और प्रयोग
वाक्यों को सुघड़-सुन्दर बनाने के लिए संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम का प्रयोग होता है। इससे किसी एक संज्ञा शब्द की पुनरावृत्ति नहीं होती। जिस संज्ञा के स्थान पर जो सर्वनाम काम आता है, उसका लिंग-वचन उस संज्ञा के समान ही होता है, जैसे-मोहणो रामस्स भिच्चो अत्थि--मोहन राम का भृत्य (नौकर) है; सो निब्भओ अत्थि--वह निर्भय है। यहाँ ‘मोहणो' के स्थान पर 'सो' एवं निब्भओ विशेषण प्रयुक्त हुआ है। दोनों ही 'मोहणो' के समान पुल्लिग और एकवचन में हैं।
सर्वनामों में वह, मैं, तुम, हम, यह, कौन, जो आदि अनेक शब्द प्रयुक्त होते हैं। तुम और मैं वाचक शब्दों के अतिरिक्त अन्य सर्वनाम शब्द प्राय: प्रथम पुरुष के होते हैं; तदनुसार ही उनके रूप चलते हैं। सर्वनामों के प्रयोग का ज्ञान और अभ्यास प्राकृत के वाक्यों के अधिकाधिक पढ़ने से ही संभव है । कुछ प्रमुख सर्वनाम शब्दों के रूप एवं तत्सम्बन्धी वाक्य-प्रयोग इस प्रकार हैं
त (तद्)-वह, पुल्लिग, सर्वनाम एकवचन
बहुवचन सो वी. तं त. तेण तस्स, से
तेसि, ताण ततो, ताओ
ताहितो तस्स, से
तेसि, ताणं तहि, तम्मि तेसु, तेसुं
तेहि
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प्राकृत सीखें : २८
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