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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण समुच्चयः सूक्ष्मार्थसप्ततिः ।। ८०॥ इत्याद्यनेकानि वर्गमूलोदाहरणानि द्रष्टव्यानि२ ॥छ।।वर्गमूलं समाप्तम् । विक्खंभवग्गदहगुणकरणी वट्टस्स परिरओ होइ । विक्खंभपाय- गुणिओ परीरओ तस्स गणियपयं ।।६।। परिही तिलक्ख सोलस य सहस्स दो य सय सत्तवीसहिया । कोसतियं धणुहसयं अडवीस तेरंगुलद्धहियं ॥७॥ परिधिः। सत्तेव य कोडिसया नउया छप्पन्न सयसहस्साई । चउणउयं च सहस्सा सयं दिवटुं च साहीयं ॥८॥गाउयमेगं पन्नरस धणु सया तह धणूणि पन्नरस । सहि च अंगुलाई जंबुदीवस्स गणियपयं ।।९।। गणितपदम् । एगा जोयणकोडी (अढीद्वीपनी परिधिः१४२३०२४८ योजन) लक्खा बायाल तीसइसहस्सा। समयकखेत्तपरिरओ दो चेव सया अउणपन्ना ॥१०॥ सोलस (अढीद्वीपर्नु गणितपद) कोडीलक्खा नवको| डिसया तिकोडि लक्खेगं । पणवीससहस्साई गणियपयं समयखेत्तस्स ॥११॥ पणयालीसं लक्खा सीमंतय माणुसं उडु सिवं च । अपइहाणो | सव्वट्ठ सिद्धि जंबूदीवो लक्खं ॥१२॥ रयणमओ मेरुगिरी जोयणसहसं च भूमिगो होइ । नवनउईउव्बिद्धो नाभिसमो सव्वलोयस्स ॥१३।। | मेरु मूले दसिगार सभागा नउया य जोवणवहस्सा । दस एसो विक्खंभो परिही पुण जोयणसहस्सा ।। १४ ॥ इगतसिं नव सय दसहिया य तिन्नि य इगारसी भागा। भूविक्खंभो दससहस्स परिही इगतीस सहसाओ ।।१५।। छस्सयतेवीसहिया सहसं पुण होइ उवरि विक्खंभो। | परिही बावठ्ठसयं तिन्नेव य जोयणसहस्सा ॥ १६ ॥ तेवढ़ कोडिसयं चउरासीयं च सयसहस्साई। नंदीसरस्त एसो विक्खंभो | चकवालेण ॥ १७ ॥ एत्थ य जंबूदीवो लक्खं दो लक्ख लावणसमुहो। एवं दुगुणा दुगुणी कायब्वा जाव पन्नरसो ॥ १८ ॥ नंदीसरवरदीवो एव पमाणाण दीवउदहीणं । पच्छिमपुरिमंताणं विच्चाले एस विक्खंभो ॥ १९ ॥ छकोडिसया पणवन्नकोडि तेत्तीस लक्खप| रिमाणं । इय विखंभा परिही गाणियपयं निय गणेयव्वं ॥ २० ॥ जो ६५५३३००००० दोन्नि उ कोडिसहस्सा बावत्तरि कोडिलक्ख तेतीसं । चउप्पन्न सहस्साई नउयसर्य गाउयं एगं ॥ २१ ॥ धणुहसहस्सं इगवन्नसमहियं अंगुलाई पन्नासं । एगो य जयो परिही नंदीसर For Private and Personal Use Only
SR No.020563
Book TitlePrakaran Samucchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasinhsuri
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1923
Total Pages133
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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