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प्रकरण समुच्चयः
| पदार्थस्था पना प्रक
॥ ७४॥
छच्चेव हवंति कालसमयम्मि । सूसमसूसम पढमा बीया सूसमत्ति नायव्वा ॥३६॥ सूसमदुसमा य तइया दूसमसुसमा चउत्थिया भाणिया । दुसमा य पंचमी छट्ठिया य तह दुसमदुसमत्ति ॥३७॥ दुसमदुसुमाइ अरया ओसप्पिणीएवि छच्च विवरीया। हुंति इय बारसारं कालचक्कं सया वहइ ॥३८॥ १३। आसाढे मासे दुपया, पोसे मासे चउप्पया । चित्तासोएसु मासेसु, तिपया हवइ पोरिसी॥ ३९ ॥ अंगुलं सत्तरत्तेणं, पक्खणं तु दुरंगुलं । वड्डए हायए वावि, मासेण चउरंगुलं ॥४०॥ जेट्ठामूले आसाढ सावणे छहिं अंगुलेहिं पडिलेहा [बहुपडिपुन्नापोरास] अट्ठहि बीयतियांम तइए दस अट्ठ य चउत्थे ॥४१॥ १४ । नियतणुछायाएँ नवहि उ पएहिं पोसांम पोरिसी सड्डा । पयएक्केका हाणी जावासाढे पया तिन्नि ॥४२॥ अठ्ठाइयदिवसेहिं पडई चडई य अंगुलं एकं । आसाढाओ पोसो पोसाओ जाव आसाढो॥ ४२ ॥ १५। करणाई तिनि जोगा मणवइकाचा उ करणसन्नत्ति । आहाराई सन्ना सोत्ताइं इंदिया पंच ॥४४॥ पुढवी आऊ तेऊ वाउ वणस्सइ तहा य बेइंदी । तेइंदी चउरिंदी पंचिंदी अजीवदसमाओ॥४५॥ खंती महव अज्जव मुत्ती तव संजमे य बोध्धव्वे । सच्चं सोयं आकिंचणं च बभं च जइधम्मो ॥४६।। एसो सीलंगरहो पंचनमोकारसारहिनिउत्तो । नाणतुरंगमजुत्तो नेइ परं परमनेव्वाणं ॥४७ ॥ १६ । भावा छच्चोवसमियखइया खओव| समियउदयपरिणामा । दुनवट्ठारिंगवीसातिगभेया सन्निवाओ य ॥ ४८ ॥ उदइयखओवसमियपरिणामेहिं चउरो गइचउक्के । खइयजुएहिं | चउरो तदभावे उवसमजुएहिं ।। ४९ ॥ एकेको उवसमसेढिसिद्धकेवलिसुं एयमविरुद्धा । पन्नरस सन्निवाइयभेया वीसं असंभविणो ॥ ५० ॥ दुगजोगो सिद्धाणं केवलिसंसारियाण तिगजोगो । चउजोगजुयं चउसुवि गईसु मणुयाण पणजोगो ॥५१॥ इगदुगतिगसंजोगे चउसंजोगे य पंचसंजोगे। सम्बेवि य अडसट्ठी भावा जंताउ नेयव्वा ॥५२॥१७॥ तिसु एग अट्ठपाओ तियद्धसाहिय चउट्ठभागो य। चउजुयले
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॥७४।।
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