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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण समुषयः ॥ ५३॥ सेविशंतोऽणवन्जकज्जो मे । एसो सावगधम्मो सम्म कम्मक्खय कुणउ ॥ ५५ ॥ देसेणुद्धरियाई सम्म एयाई सावयवयाई । सिरिमं मुणिचंद रम माणचदः श्रीसिद्धान्त मुणीसरेण परकजसज्जेणं ॥५६॥ जुगपवरसुयहाणं सिरिमंमुणिचंदसूरिसुगुरुणं। सीसाण देवसूरीणमंतिए वीरजिणभवणे ।। ५७ ॥ | सारोद्धारः इति कस्याश्चित् श्राविकाया व्रतनियमाः ॥अथ श्रीसिद्धान्तसारोद्धारः। नमो जिनाय ॥ ३०॥ 'अइविसमरागकेसरिनरिंदनिहारणंमि जसपसरो । जस्सऽज्जवि धवलइ तिहुयणंपि नमिऊण तं वीरं ।। १ ।। जंबुद्दीव १ढाइयदीवसमुहाण २ तहय दीवाणं । जंबुपमुहाण विच्चायलस्स नंदीसरंताणं ॥२॥ विक्खंभो तह परिही गणियपयं पिहु पिहुंभणिस्सामि३ । मेरुस्सवि मूलतले भूमितले उवरिमतलंमि ॥ ३॥ विक्खंभे परिगणियं ४ मेरुस्सवि लक्खजोयणुश्चत्तं ५। जामुत्तरासु लक्खोपच्छिमपुव्वासुर | तह लक्खो७॥४॥ जंबुद्दीवस्स ७ तहा नरखित्ते माणुसाण परिमाणं ८ । वरिससयाऊयाणं उस्सासाईपरीमाणं९ ॥५॥ समयाइसीसपहेलियं| तसंखाणयं च जिणभणियं १० । संखेज्ज११मसंखज्ज१२अणतयंपि य १३ भणिस्सामि ॥ ६ ॥ पोग्गलपरियटुंपि य १४ इय चउदसदारसंजुयं भणिमो । मंदमईबोहणत्थं सिद्धंतुद्धारसारमिणं ॥ ७॥ इह तिल्लपूयपडिपुग्नचंदसंठाणसठिओ रम्मो । सव्वलोगस्स मज्झे जंबु-8 हीवो हवइ लक्खं ॥ ८॥ तं पुण दुगुणेण वित्थरेण चाहिसिं परिक्खिवइ । लवणो तंपि य धायइ तहुगुणोतं च कालोओ॥९॥ अह माणुसुत्तरेणं सेलेणं मज्झसंठिएणं तु । पुक्खरवरदीवो तहुगुणवित्थरो तं परिक्खिवइ ॥१०॥ दीवोदहिणो एवं असंखया दुगुणदुगुणिया भणिया। जावंतिमो | सयंभूरमणुदही एस सिरिलोओ ॥ ११ ॥ उद्धारयराणं जत्तियाओ अद्धाइयाण इह समया । तावइया दीवुदही हवति दुगुणा दुगुण माणा ॥ १२ ॥ एवं ठियमि पढम जंबूदीवस्स मेरुनाभिस्स। लक्खपमाणस्स परिहापभिईगणियं भणिस्सामि ।।१३।। विक्खंभवग्गदहगुणकरणी | वहस्स परिरओ होइ । विक्खंभपायगुणिओ उ परिरओ तस्स गणिवपयं ॥ १४ ॥ परिही तिलक्ख सोलस सहस्स दो सय सत्तवीसहिया । RRRRRR For Private and Personal Use Only
SR No.020563
Book TitlePrakaran Samucchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasinhsuri
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1923
Total Pages133
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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