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एन खमगर उत्रर पगनो पगर मुगट? चांमर? ए पांचे मुके द्वार खार यादी।
॥२१॥ खग्गं उत्तं वाणह। ममं चमरेत्र पंचमए ॥२१॥ हवे दिसि द्वार३ वांदे जि दिसि रहीने पुरुष ने मानी दिसि रहीने नेस्वरने जमणी। स्त्री।
वंदंति जिणे दाहिण। दिसि हिश्रा पुरिस वामदिसि नारि हवे अवग्रह द्वार ४ नवहाथ नत्कृष्ट नव नपर साठ माही म झघन्य साठ हाथ। ध्यम अवग्रह सेष ॥२॥
नवकर जहन्न सहि कर। जिमशु ग्गहो सेसो॥२॥ हवे नमस्कार द्वारय एक चैत्यवंदन मध्यम अरीहंत चेइयाणं नवकार वा नमवे झघन्य। च्यार थोय जुगल ॥
नमुक्कारेण जहन्ना। चिश्वंदण मस दंम थु जुयला ॥ पांचवार नमुथ्थुणारुप झमके स्तवन जयवीयराइं करी नत्कृष्ट थुइ था करी। चैत्य वंदन॥३॥
पणदंम थुश् चनकग्ग। थय पणिहाणेहिं नकोसा॥२३॥ अन्य वा बीजा आचार्य नमुथ्थुणे करीने झपन्य चैत्यवं इंम कहे एकज।
दन॥ __ अन्ने बिंति इगेणं। सक्कबएणं जहन्न वंदणया॥ ते बेत्रण नमुथ्थुणे करी म नत्कृष्टु चैत्यवंदन च्यार अथवा पां ध्य चैत्यवंदन। च नमुथ्थुणे करा ॥४॥
त दुग तिगेण मशा। नकोसा चनहिं पंचहिंवा॥४॥ हवे पंचांग प्रणाम द्वारपां बे ढींचण हाथ बे उत्तम अंग म च अंग नमाववां ते। स्तक एक॥
पंचंगो पणिवान। दो जाणु करदुगु त्तमंगंच ॥
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