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________________ E ५३ वांदीने वांदवा योग। सर्व अरिहंत प्रते चैत्यवंदन आये नला वीचार प्रते॥ वंदित्तु वंदणिके। सव्वे चिश् वंदणाई सुवियारं ॥ घणी वृत्ती घणी नाष्य घणी चुरणी। सिद्धांत सुत्रने अनुसारे कहीस्य? | बहु वित्ती नास चुन्नी। सुश्राणु सारेण वुहामि ॥१॥ श्रथ द्वार दस त्रीकनुर अनीगम बेदीस्या रेहेवानु र त्रण अवग्रह वा पेसवानी वीधी पांचनु। नु त्रण प्रकारे वांदवानु१॥ दह तिग?अहिगम पणगंश दुदिसितिहुग्रह तिहाग्य |पंचांग नमवानुनमस्कारनुर। अक्षर? सोलसेंने सुम [वंदणया। तालीसनु १६५७ वर्ण? ॥२॥ पणिवायनमुक्कारा। वन्ना सोलसय सीयालाणाशा एकसो एकासी वली पद सतांणु संपदा वा बीसांमानु? पांचए नु १७१ पद । मंगनु १ ॥ गसी पयंतु पयाण सगननई संपया पणदंमार बार अधिकारनु? च्यार वांदवा सरण करवा जोग्यनु? चार निक्षे जोग्यतुं। पे जिननु ॥३॥ बार अहिगारश्चन वंद सरणिऊर४चनहिंजिणा?५ च्यार थोयोनुर [णिज २३। बार हेतु वा कारणनु? सोल [॥३॥ नीमीत आउनु। आगारk१॥ . चनरोथुई१६निमित्त बार हेकयरसोल आगारा॥ नगणीस दोष कान [४२। कानुसगना प्रमाणनु? स्तवननु स्सगना तेनु। वली? चैत्यवंदन सातनु? ॥॥ गुण वीस दोस नसग्गश्माण?थुत्तंचश्श्सगवेला२३ mammu -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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