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सपलाइं श्री जिनेश्वरनां कहेलां। जे वचन ते नहीं वीपरीत होय॥
सव्वाइं जिणेसर नासिआई। वयणाईन अन्नहा हुंति॥ एहवीवुद्धि जे जीवना मनमां। सम्यक्त निश्चल ते जीवने आणक्षिण ॥ अबुधि जस्स मणे। सम्मत्तं निचलं तस्स ॥६॥ हहे सम्यक्तनो महीमा कहेडे फरस्युं होय जे जीवे सम्यक्त प्रत्ये॥ अंतरमुहुर्त काल मात्र पण।
अंतोमुहत्तं मित्तंपि। फासियं हुऊ जेहिं सम्मत्तं॥ ते जीवने अर्द्ध पुद्गल मांहि फरवु होय नीचे संसारमा पण काल प्रमाण।
नपरांत नहीं ॥ ७० ॥ तेसिं अवह पुग्गल। परियहो चेव संसारो॥७॥ हवे पुदल परावर्त प्रकारे कहे नावथी' च्यार जेद बे प्रकारे बे द्रव्यथी खेत्रथी? कालथी। बादर सुक्ष्म ५ ए ७॥
दव्वेर कित्ते काले। नावेधचन्ह दुह बायरो सुह होय अनंती नदारपिणि अव परीमाण पुद्गल परावर्त [मो॥ सरपिणी।
एकनो कालमांन ॥१॥ होइ अणंतु स्सप्पिणि। परिमाणो पुग्गलपरटो॥७॥ नदारीकादीक सातेनीवर्गणा। एकजीव मुके फरसीने सर्वप्रमाणुप्रत्ये|
नरलाइ सत्तगेणं। एग जिन मुअर फुसि सव्व जेटले काले ते थुल द्रव्य पुद्गल द्रव्यथी सुक्ष्म सात थने [अणु। परावर्त काल थाय। रीवा बीजी वर्गणा ॥७॥
जित्तिकालि स थूलो। दव्वे सुहुमो सग नयरा॥७॥ लोकाकाशना सर्व प्रदेश नत्स समय अणुनाग बंधनां सर्व स्था रपिणिना सर्व।
नक॥ लोग पएसो सप्पिणि। समया अणुनागबंध घणेय॥
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