________________
२७७ मांनुपजाव्युं केवलज्ञान हेवा। र हो ॥१३॥
नप्पामिय नाणाणं। खंदग सीसाण तेसि नमो॥१३॥ श्री वर्धमान प्रनुना चरण पूजवानी वांडा सहित श्रावती कमल प्रते।
हूई नगोमना फूले करी॥ सिरि वघमाण पाए। पूबी सिंदुवार कुसुमहिं ।। नत्तम नावे करीने देवलोके। दुर्गतानांमे स्त्री सुखने पांमी॥१४॥
नावेणं सुरलोए। दुग्गश्नारी सुहं पत्ता ॥१४॥ नावे सहित जुवनस्वामी वांदवाने मेमको पिण वाव्य श्री महावीरने।
थी नीकली चाल्यो । नावेण लवणना। वंदेचं दद्दरोवि संचलि|| जतां श्रेणीकना घोमाने प पोतानेज नांमे बोलखायो तेवो द गे मरण पांमीने विचमां। दुरनामे देव थयो सुधर्मे ॥१५॥
मरिकण अंतराले। निय नामंको सुरो जान॥१५॥ एक नाइए साधुव्रत लीधुं बीजे पांणीना पुरे करी नरेली एहवी नाइए राज लीधुंएक नदरना। नदीए ॥ | विरया विरय सहोअर नदगस्स नरेण नरिअसरिया पोताना स्वामीइं तथा मुनिइं तिवारे दीधो नदीए मारग [ए॥ कहे हूते श्रावीकाने ॥६॥ ते नावना वशथी ॥१६॥
नणिप्राश् साविआए। दिन्नो मग्गुत्ति नाववसा॥२६॥ श्री चंद्ररुद्रनामे बाचार्य गुरूइं।मास्यो थको पीण मनाप्रहारे करी
सिरि चमरुद्द गुरुणा। तामिऊंतोवि दंम घाएहिं॥ तेज अवसरे तेमनो नवदी शुध लेशाइं ते केवलज्ञांनी थयो क्षित साधू शीष्य। ॥१७॥
तकालं तस्सीसो। सुहलेसो केवली जा ॥२॥
-
-
-