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२२३ नथी तेहवी जाती नथी तेहवी नी तेहर्बु क्षेत्र लोकमां नथी|| योनी।
तेह कुल जे ॥ नसा जाई नसा जोणी। नतं गणं नतं कुलं ॥ नथी जम्या नथी मुवा जीहां। सर्व जीव आश्री अनंतीवार ते||
सर्व परंपराये पांम्या ॥२३॥ | न जाया न मुश्रा जब। सव्वे जीवा अणंतसो॥३३॥ तेहवं कांइ पण नथी स्था चन्द राजलोकने वीषे वालना अ नक।
ग्र नाग बेहेमा मात्र पण ॥ __ तं किंपि नबि गणं। लोए वालग्ग कोमि मित्तंपि॥ जीहां नथी जीव घणीवार। सुख दुःखनी परंपरा पांम्या ॥४॥
जब न जीवा बहुसो। सुह दुक परंपरं पत्ता ॥४॥ समस्त रूद्वि।
पाम्यो बली समस्त पीण स्वजना
दिक संबंध पाम्यो॥ सव्वान रिघी। पत्ता सव्वेवि सयण संबंधा। संसार थकी ते कारण मा तेथकी जो जाणेतो यात्मान॥२५॥ टे वीरम्य राग तज।
संसारे तो विरमसु। तत्तो जश् मुणसि अप्पाणं॥श्या एक जे जीव बांधेजे कर्म एक जीव मार बंधण मरण व्यसन प्रते।
वा कष्टादि प्रते ॥ एगो बंध कम्म। एगो वह बंध मरण वसणा॥ समस्त सहे इंम संसारमा एक वली नीचे कमें ठग्यो वा वं जीव जमे।
च्यो ॥२६॥ विसह नवंमि नमम। एगुच्चित्र कम्म वेलविनाश॥ हे आत्मा बीजो कोइ नथी क हीत पीण आपणो आत्मा करेन