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कर्मग्रन्थ
प्रस्तावना.
यथोपलब्धिकर्तृनामतत्समयादिनिदर्शनसहितमूलटीकादिग्रन्थानां कोष्टकम्नंबर अन्थोनां नाम. का. लोकसंख्या.
ग्रन्थरच्याना कालविगैरेनी हकीकत. १ कर्मप्रकृति * शिवशर्मसूरि गा० १७५ । कर्मप्रकृतिना का श्रीशिवशर्मसूरि प्यारे थया ए संबंधी सधी निर्णय
थयो नथी. तो पण मानन्थनो उद्धार बीजापूर्वमाथी थएलो होवाथी तेओ
श्री विक्रमसं० ५०० ना अरसामा यएला होका जोइए. " चूर्णी
श्लो०७००० चूर्णीकारे पोतार्नु नाम भाप्यु नथी तो पण चूमीउपर टिप्पनकरनार
श्रीमुनिचन्द्रसूरिथी चूर्णीकार पहेला थया छे. " चूर्णीटिप्पन x मुनिचन्द्रसूरि श्लो०१९२० श्रीमुनिचन्द्रसूरिए भनेक ग्रन्यो उपर चूर्गी-टिप्पन-टीकामो करीछे. तेओ
श्रीनो सं० ११७८ मां सर्गवास थयो छे. " वृत्ति * मलयगिरि लो०८००० श्रीमलयगिरिसूरिए भनेक सिद्धान्त भने मन्थो उपर टीकाओ रची।
तेओ श्री राजा कुमारपाल भने श्रीहेमचन्द्राचार्यना समकालिन हता. " वृत्ति * यशोविजयोपाध्याय श्लो० १३००० श्रीयशोविजयोपाध्यायनो स्वर्गवास संवत् १७४५ मा थयो छे. २ पञ्चसंग्रह * चन्द्रर्षिमहत्तर गा० ९६३
शतक सप्ततिका २ कषायमाभूत ३ सत्कर्म । कर्मप्रकृति ५ रूप पांचवस्तुओनो संग्रह मा प्रन्धमा होवाथी पञ्चसंग्रह कदेवाय छे. आ ग्रन्थना
कर्ता श्रीचन्द्रर्षिमहत्तराचार्यनो समय कोई स्थले जोवामां आव्यो नथी. * आवी निशानीवाला अन्धो छपाइगया छे. २ + आबी निशानिवाला ग्रन्थो हजसुधी अमारा जोवामां आव्या नथी. परंतु वृहट्टिप्पनिका मुद्रित जैन मन्थावली विगेरेमा उल्लेख मली आववाथी अत्रे नोंध करीछे.
॥३॥
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