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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 4. वासिष्ठपुत्र पुलुमावि का नासिक वाहनस पटिपू ( - )ण ( प्रतिपूर्ण या परिपूर्ण ) चद-मउलससिरीक 5. 6. www. kobatirth.org 7. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पियदसनस वर-वारण-विकम-चारु - विकमस भुजगपति- भोगपीन - वाट - विपुल - दीघ- सुद (र) भुजस अभयोदकदान-किलिननिभय-करस अविपन- मातु- सुसूसाकस सुविभत-तिवगदेस-कालस W 69 पोरजन - निविसेस-सम- सुख - दुखस ( प्रजासुखे सुखी राजा तदुःखे यश्च दुःखितः । स कीर्तियुक्तो लोकेस्मिन् प्रेत्य स्वर्गे महीयते ।। विष्णुसंहिता 3/70 ) खतिय-दप - मान- मदनस सक-यवन- पल्हव (शक - क्षहरात, यवन = (ग्रीक), दक पलव ( पार्थियन का शासन पंजाब, सिंध क्षेत्र) निसूदनस धमोपजित कर विनियोग करस कितापराधे पि सतु जने अ- पाणहिसा - रुचिस दिजावर - कुटुब - विविध नस खखरात - वस- निरवसेस करस सातवाहन-कुल-यसपतिथापन- करस, सव- मंडलाभिवादित च (र) णस, विनिवतित-चातूवण- संकरस ( चातुर्वर्ण्य स्वकर्मस्ये मर्यादानामसङ्करे )। दण्डनीतिकृते क्षेमे प्रजानामकुतोभये । महा0 शान्तिपर्व 6, 177 ) अनेक समरावजित-सतु - सधस अपराजित-विजयपताक - सतुजन - दुपधसनीय पुरवरस कुल-पुरिस- परपरागत विपुल- राज- सदास आगमान (नि)लयस सपुरिसानं असयस सिरी (ये) अधिठानस उपचारान पभवस एककुसस एक धनुधरस एक-सूरस एक बम्हणस राम For Private And Personal Use Only केसवाजुन - भीमसेन - तुल- परकमस छाण ( णा ) घनुसव- समाज -- कारकस नाभाग - नहुस - जनमेजय-सकर - य ( या ) ति - रामाबरीस - सम- तेजस अपरिमितमख - यमचितमभुत पवन-गरुळ- सिध-चयख राखस - विजाधर- भूत-गधव- चारण
SR No.020555
Book TitlePrachin Bharatiya Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwatilal Rajpurohit
PublisherShivalik Prakashan
Publication Year2007
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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