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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उषवदात का नासिक गुहालेख नासिक (महाराष्ट्र) भाषा-प्राकृत लिपि-ब्राह्मी, वर्ष 41-42, 45 (द्वितीय शती ई०) सिधं (॥) वसे 40 (+) 2 वेशाख मासे राजो क्षहरात क्षत्रपस नहपानस जामातरा दीनीक-पुत्रेन उषवदातेन संघस चातुदिसस इमं लेणं नियायितं (1) दत चानेन अक्षय निवि काहापण-सहस्रा नि त्रीणि 3000 संघस चातुदिसस ये इयस्मिं लेणे वसांतान (') भविसंति चिवरिक कुशाणमूले च (1) एते च काहापणा प्रयुता गोवधनं वाथवासु श्रेणिस(।)कोलीक निकाये 2000 वृधि पडिक-शत अपर-कोलीक-निकाये 1000 वधि पा (यू) न-(प)डिक शत (1) ऐते च काहापणा (अ) पडिदातवा वधि भोजा (1) एतो चिवरिक सहस्त्रानि बे 2000 ये पडिके सते (1) एतो मम लेणे वसवुथान भिखुनं वीस()य एकीकस चिवरिक वारसक (1) य सहस प्रयुतं पायुन पडिके शते अतो कुशनमूल(1) कापूराहारे च गामे चिखलपद्र दतानि नालिगेरान मुल-सहस्राणि अठ 8000 एव च सर्व स्त्रावित (निगम सभाय निबध च फलकवारे चरित्रतो ति (1) भूयोनेन दतं वसे 40 (+) 1 कातिक शूधे पनरस पुवाक वसे 40( + ) 5 पनरस नियुतं भगवता (') देवानं ब्राह्माणनं च कार्षापणसहस्रानि सतरि 7000 प (') चत्रि (') शक सुवण कृता दिन सुवर्ण-सहस्रणं 1. एपि0 इ) 8. पृ. 82 60 For Private And Personal Use Only
SR No.020555
Book TitlePrachin Bharatiya Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwatilal Rajpurohit
PublisherShivalik Prakashan
Publication Year2007
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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