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पतिक का तक्षशिला ताम्रपत्र
2.
पतिक-थूपकिया जिला रावलपिण्डी (पाकिस्तान) भाषा-प्राकृत, लिपि-खरोष्ठी, 78वां वर्ष (सवत्स )रये अठसततिमए 20( + ) 20 (+ ) 20 (+)10 (+) 4 (+) 4 महरयस महंतस (मो )गस पर ने )मस-मसस दिवसे पंचमे 4 (+ )। एतये पूर्वये क्षहर(स) चुख्सस च क्षत्रपस लिअको कुसुलको नम तस पुत्रो (पति) (को) तखशिलये नगरे (।) उत्तरेण प्रचु देशो क्षेम नम (।)
अत्र 3. (दे)शे पतिको अप्रतिठवित भगवत शकमुनिस शरिरं (प्र)
तिथ (वेति) (सं)धरमं च सर्व-बुधन पुयए मत-पितरं पुयय (तो) क्षत्रपस स-पुत्र-दरस अयु-बल-वर्धिए भ्रतर सर्व (च) (अतिग)-(बं)धवस च पुययंतो (1) महदनपति पतिक सज उव(झ)-ए (न) रोहिणिमित्रेण य इम( मि?) संघरमे नवकमिक (।)
(दूसरी ओर) 6. पतिकस क्षत्रप लिअक (॥)
1.
कार्पस, 2/1, पृष्ठ 23-29
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