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खारवेल का हाथीगुम्फा लेख '
हाथीगुम्फा ( भुवनेश्वर के निकट )
भाषा - प्राकृत,
लिपि - ईसवी पूर्व की प्रथम शती की ब्राह्मी
नमो अरहंतानं । नमो सवसिधानं । ऐरेण महाराजेन महामेघवाहनेन चेति राज व (') स वधनेन पसथ- सुभ- लखनेन चतुरंत लुठ (ग) गुण- उपितेन कलिंगाधिपतिना सिरिखारवेलेन
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(पं) दरस वसानि सीरि ( कडार ) - सरीर-वता कीडिता कुमार- कीडिका । ततो लेखरूप- गणना - ववहार - विधि-विसारदेन सव - विजावदातेन नव-वसानि योवराज ( प ) सासितं । संपुंण चतुवीसति वसो तदानि वधमानसेसयो वेनाभिविजयो ततिये
कलिंग - राज - वसे पुरिस- युगे महाराजाभिसेचनं पापुनाति । अभिसितमतो च पथमे वसे वात-विहत- गोपुरपाकार-निवेसनं पटिसंखारयति कलिंगनगरिखिबी (रं)। सितल - तडाग - पाडियो च बंधापयति सबूयान- प ( टि) संथपनं च
एपि० इ० 20, पृ० 71-89
कारयति पनति (सि? ) साहि सत - सहसेहि पकतियो च रंजयति । दुतिये च वसे अचितयिता सातकंनिं पछिमदिसं हय - गज-नर- रध - बहुलं दंडं पठापयति । कन्हबेंणा - गताय च सेनाय वितासिति असिकनगरं । ततिये पुन वसे
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