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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 1. 2. 3. 4. 1. www. kobatirth.org खारवेल का हाथीगुम्फा लेख ' हाथीगुम्फा ( भुवनेश्वर के निकट ) भाषा - प्राकृत, लिपि - ईसवी पूर्व की प्रथम शती की ब्राह्मी नमो अरहंतानं । नमो सवसिधानं । ऐरेण महाराजेन महामेघवाहनेन चेति राज व (') स वधनेन पसथ- सुभ- लखनेन चतुरंत लुठ (ग) गुण- उपितेन कलिंगाधिपतिना सिरिखारवेलेन Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (पं) दरस वसानि सीरि ( कडार ) - सरीर-वता कीडिता कुमार- कीडिका । ततो लेखरूप- गणना - ववहार - विधि-विसारदेन सव - विजावदातेन नव-वसानि योवराज ( प ) सासितं । संपुंण चतुवीसति वसो तदानि वधमानसेसयो वेनाभिविजयो ततिये कलिंग - राज - वसे पुरिस- युगे महाराजाभिसेचनं पापुनाति । अभिसितमतो च पथमे वसे वात-विहत- गोपुरपाकार-निवेसनं पटिसंखारयति कलिंगनगरिखिबी (रं)। सितल - तडाग - पाडियो च बंधापयति सबूयान- प ( टि) संथपनं च एपि० इ० 20, पृ० 71-89 कारयति पनति (सि? ) साहि सत - सहसेहि पकतियो च रंजयति । दुतिये च वसे अचितयिता सातकंनिं पछिमदिसं हय - गज-नर- रध - बहुलं दंडं पठापयति । कन्हबेंणा - गताय च सेनाय वितासिति असिकनगरं । ततिये पुन वसे 34 For Private And Personal Use Only
SR No.020555
Book TitlePrachin Bharatiya Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwatilal Rajpurohit
PublisherShivalik Prakashan
Publication Year2007
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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