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भानुगुप्त का एरण स्तम्भ लेख
एरण-सागर (म०प्र०) भाषा-संस्कृत लिपि-ब्राह्मी, गुप्त संवत् 191 (510 ई०)
संवत्सर-शते एकनवत्युत्तरे श्रावण बहुलपक्ष-स(प्त )म्य(ix) 2. संवत् 100 (+) 90 (+) 1 श्रावण ब-दि- 7॥
प्र/अशु(क्लवंशादुत्पन्नो).... 3. (धवन) राजेति विश्रुतः।
तस्य पुत्रो (5)तिविक्क्रान्तो नाम्ना राजाथ विश्रुतः। गोपराज (:) सुतस्तस्य श्रीमान्विख्यात-पौरुषः। .. शरभराज-दौहित्रः स्ववंशतिलको(5)धुना (?) 2 श्री भानुगुप्तो जगति प्रवीरो राजा महान्यार्थ समो( 5 )ति शूरः।
तेनाथ सार्द्धन्त्विह गोपर(राजो) 6. मित्रानु(गत्येन) किलानुयातः। 3
कृत्वा (च) (युद्धं सुमहत्प्रकाशं स्वर्गगतो दिव्य न(रे)
(न्द्रकल्पः) 7. भक्तानुरक्ता च प्रिया च कान्ता भ(गाव)ल(ग्न )नुगता
(ग्निर(शिम्।
1.
कार्पस, खण्ड 3, पृ. 88-90
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