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चन्द्रगुप्त द्वितीय का सांची शिलालेख
सांची, जिला विदिशा (म०प्र०) भाषा-संस्कृत लिपि-ब्राह्मी, गुप्तसंवत् 92 (412ई०)
सिद्ध 1. का( कना)दबोटश्रीमहाविहारे शीलसपाधि-प्रज्ञा-गुण
भावितेन्द्रियाय परमपुण्यक्षेत्रग)ताय चतुर्दिगभ्यागताय श्रमण-पुङ्गवावसथाया-- सङ्घाय महाराजाधिरा(ज-श्री) चन्द्रगुप्त-पाद-प्रसादाप्यायित-जीवित-साधनः अनुजीवि-सत्पुरुष-सद्भाव वृ(त्त्यर्थं ) जगति प्रख्यापयन् अनेक-समरावाप्त-विजययशस्पताकः सुकुलिदेशन ष्टो. . . वास्तव्य उन्दान-पुत्राम्रर्काद्दवो मज-शरभङ्गाम्ररात
राजकुल-मूल्य-क्री6. त (म). . . ईश्वरवासकं पञ्चमण्डल्या (') प्रणिपत्य ददाति
पञ्चविंशतिश्च दीना रान् ... यादर्द्धन महाराजाधिराज-श्रीचन्द्रगुप्तस्य देवराज इति प्रिय
1.
कार्पस 3, पृ० 318
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