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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राचीन भारतीय अभिलेख 19. 20. 21. कौसल (दक्षिण कौसल) के (स्वामी) महेन्द्र, माहाकान्तार (वन्य प्रदेश) के (स्वामी) व्याघ्रराज, कौरल (संभवतः एलोरे के निकट कौलेर झील, जिला पश्चिमी गोदावरी) के (स्वामी) मण्टराज, पैष्टपुर (पूर्वी गोदावरी जिले का पीठापुरम) के (स्वामी) महेन्द्रगिरि, कोटूर (सम्भवतः गंजाम जिले में महेन्द्रगिरि का निकटवर्ती कोथूर) के (स्वामी) स्वामिदत्त, ऐरण्डपल्ल (गंजाम तथा विशाखापट्टनम् जिले का कोई भाग) के (स्वामी) दमन, कांची (काजिवरम्) के (स्वामी पल्लवराज) विष्णुगोप, अवमुक्त (गोदावरी के पास? ) के (स्वामी) नीलराज, वैङ्गी के (स्वामी शालङ्कायन ) हस्तिवर्मा, पालक्क (सम्भवतः नेल्लोरे क्षेत्र के पलक्कड) का (स्वामी) उग्रसेन, देवराष्ट्र (विशाखापट्टनम् जिले का येल्लमञ्चिलि क्षेत्र) का (स्वामी) कुबेर, कुस्थलपुर (सम्भवतः उत्तरी अर्काट जिले का कुत्तलुर) के (स्वामी) धनञ्जय इत्यादि सारे दक्षिणापथ के राजा बन्दी बनाकर मुक्त किये जाने की कृपा से उत्पन्न प्रताप से मिश्रित (विचित्र) महाभाग्यशाली, रुद्रदेव (सम्भवतः पश्चिम भारत का शकराज रुद्रसेन तृतीय), मतिल (उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले से प्राप्त एक सील पर सम्भवत: इसी का नाम है), नागदत्त (सम्भवत: पुण्ड्रवर्धन के राज्यपाल दत्तों का पूर्वज चन्द्रवर्मा संभवतः सुसुनिया लेख में उल्लिखित नृप), गणपतिनाग (पद्मावती पवाया) का नाग राजकुमार (जिसके यहां से सिक्के भी मिले हैं), नागसेन (पवाया का नाग कुमार, सम्भवतः इसी की मृत्यु का उल्लेख हर्षचरित में है), अच्युत (अहिच्छत्र, बरेली जिले के रामनगर से इस नाम के राजा के सिक्के प्राप्त हुए हैं), नन्दी, बलवर्मा आदि आर्यावर्त के नृपों को बलपूर्वक उखाड़ कर अपने अमित प्रभाव को बढ़ाया। जिसने सारी जंगली प्रदेश (जबलपुर क्षेत्र सहित मध्य देश के सम्भवतः अट्ठारह राज्य) के राजाओं को अपने सेवक (अधीनस्थ) बना लिये; समतट (दक्षिण पूर्वी बंगाल), डवाक (आसाम के नओ गोङ्ग जिले का डबोका), कामरूप (आसाम का गौहाटी क्षेत्र), नेपाल, कर्तृपुर (कुमायूं, गढ़वाल और रुहेलखण्ड का कतुरिया अथवा जालन्धर जिले का करतारपुर) आदि सीमापवर्ती (राज्यों के) नृपों ने तथा मालव (पश्चिम मालवा), द्रष्टव्य संक्षोभ का खोह अभिलेख, c.i.i, III पृ०114 22. For Private And Personal Use Only
SR No.020555
Book TitlePrachin Bharatiya Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwatilal Rajpurohit
PublisherShivalik Prakashan
Publication Year2007
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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