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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री महावीर जिन पंचकल्याणक पूजा ७९ गोपे स्वीला ठोक्या कान, मूकी खेचे राड महान ॥ थयु अति भैरव तव उद्यान, फाटी पर्वत शिला भारी धन ३ उधर्या अपराधी २असुमंत, श्री जिनमाणक करुणावंत ॥ मृठी बाकुल लेइ महंत, तातजी चंदनवाला तारी। धन०४ ॥ दोहा । कर्यों एक षट मासी तप पंच दिवस उण एक ॥ नव चोमासी तप कर्या, त्रण मासी बे टेक ॥ १॥ दोह मासी अढी मासिया, बेबे पट बे मास ॥ द्वादश मास खमण कयाँ, व्होतेर कीयां पास ॥२॥ बार अठम वली छठ कर्या, वस्से ओगणत्रीस ॥ भद्रादिक प्रतिमा धरी, दिन दुग चउ दश ईश ॥ ३॥ ३निर्जल तप सवी पारणां त्रणसे ओगण पचाश ॥ काल समस्त प्रमादनो, ५अंतर्मुहूर्त जास ॥ ४ ॥ ए रीते तप आचरी, समता साधन साथ ।। क्लिष्ट कर्म दल क्षय करे, ज्ञातपुत्र जगनाथ ।। ५ ।। ॥ ढाल चोथी॥ राग सोहनी ॥ कवाली। ॥ राजा मेरा किथेनी गया ॥ ए देशी ॥ वीर जिणंद जयकारा जयकारा, भविजन पूजो भावभुं । ॥ए आंकणी॥ माया काया ममता मारी, शम दम संजम धरम स्वीकारी। १ भयंकर २ प्राणी. ३ चोविहार. ४ निद्रानो. ५ बे घडी. ६ महावीर. For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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