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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री महावीर जिन पंचकल्याणक पूजा ६७ रहरिहय मलिया भक्त हलिया, जिनमाणक गुण गावेरे गावेरे गावे बहु भावे आप्त०॥४॥ ॥दोहा । क्षीरोदधि द्रह कुंडनां, मागधने वरदाम ॥ ललित तीर्थ जल लावता, औषधि फल अभिराम ॥१॥ तीरथ मृत्तिका तथा, चंदन सुमनस चंग ॥ सरस धूप चूरण शुचि, आणे अति उछरंग ॥ २ ॥ दर्पण चामर दीपा, छत्र कलश श्रीकार ।। सामग्री सवि स्नात्रनी, करता सुर तैयार ॥३॥ ॥ ढाल पांचमी ॥ राग काफी ॥ ॥ चित्त तुमे करो भविक जन, मणि तंदुल उदार ॥ ए देशी॥ सुरपति करे मेरु पर, जिन जन्माभिषेक ।। ए आकणी ॥ आठ जातिना कलश अनोपम, आठ सहस प्रत्येक ॥ क्षीर नीर भरी जिनपर ढोले, इम अढीसें अभिषेक।सुरपति॥१॥ अच्युतादिक हरि सामानिक, लोकपाल मुख फ्लेख ॥ इंद्राणी आनंद भराणी, न्हवण करे धरी टेक ।।सुरपति ॥२॥ चंदन चरची कुसुमे अरची, धरी आमरण अनेक ॥ स्तवन नमन करी जई जिन जननी, समीप ठवे सुविवेक ॥सुरपति० ॥३॥ निद्रा हरी धरी अंगुल अमृत, वरशी धन अतिरेक ॥ नंदीश्वर जिनमाणक महिमा, करता सुरवर छेक ।।सुरपति ॥ इंद्र. २ फूल. ३ पवित्र. ४ इन्द्र. ५ देव. ६ अंगुठे ७ बहु ८ चतुर. - For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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