SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६६ श्री महावीर जिन पंचकल्याणक पूजा - - जइ वंदे जिनराजने, करी १शक्रस्तव पाठ ॥ २॥ वेशठ २शक गया तदा, सुर सह रेसुर गिरि शंग ।। स्वामि ५शरण सोहमपति, आवे अधिक उमंग ॥ ३ ॥ ॥ढाल चोथी॥ ॥ रामनाम रस पीजे, प्याला पीजेरे ॥ ए देशी ॥ ६आप्त धाम हरि आवे, हरखे आवेरे आवेरे आवे बहु भावे ।। | ए आंकणो ॥ जननीने बंदी मन आनंदी, प्रभुपद पद्म वधावेरे वधावेरे वधावे बहु भावे । आप्त० ॥ माडीने गाढो निंद पमाडी, प्रतिबिंब पासे ठावे रे ठावेरे ठावे बहु भावे ।आप्त०॥१॥ सुरगिरि शंगे प्रभुने रंगे, पंचरूप करी लावेरे लावेरे लावे बहु भाबे । आप्त० ॥ उलट विशेषे आसन बेसे, प्रभुने अंक घरावेरे धरावेरे धरावे बहु भावे । आप्त० ॥२॥ तव सुर ९बंदा चोसठ इंदा, सर्व १०समुदित थावेरे थावेरे थावे बहु भावे ॥ आत० ॥ शास्त्र प्रमाणी स्नात्र पूजानी, शुभ सामग्री मिलावेरे मिलावेरे मिलावे बहु भावे |आप्त॥३॥ जिन मुख निरखे हइडे हरखे, निरूपम सुख रस पावरे पावेरे पावे बहु भावे ।। आत॥ १ नमुत्थुणं.२ इंद्र. ३ मेरु. ४ शिखर. ५ घर.६ जिनघर ७ इंद्र. ८ खोलामां. ९ समूह. १० एकठा. For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy