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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५६ श्रीमहावीर जिन पंचकल्याणक पुजा प्राणत स्वर्ग गया प्रभु, १मंजुल भाग्य महंत ॥ ९॥ विलसे २सागर विंशति, आयुष त्यां अभिराम ॥ ४अखिल ५अमर ६गणथी अधिक, रूपकांति गुण धाम १० शाश्वत जिनवर सेवता, सुंदर भक्ति सहित ।। सुख भोगवतां स्वर्गनां, करता काल व्यतीत ॥ ११ ॥ ॥ अथ प्रथम च्यवन कल्याणक पूजा प्रारंभः॥ ॥दोहो॥ वर्तमान शासन विभु, वर्द्धमान भगवान ॥ परमेष्ठि प्रभु पूजिये, प्रथम व्यवन कल्याण ॥ १ ॥ ढाल पहेली ॥राग पीलु बरवो ॥ ॥ मेरे सजनसे यू जा कहना ॥ ए देशी ॥ शासन नायक जिनपति सेवो, भविजन निर्मल भाव धरीरे ।। ए आंकणी ॥ जंबू दक्षिण भरते जाणो, माहणकुंड नगर वर मानो, विप्र रिषभदत्त नाम वखाणो । देवानंदा नामनी, तस ९गज गामिनी, १०कामिनी गुण भरीरे ।। शासन० ॥ २ ॥ आषाढ सुद छठ रजनी अमंदे उत्तराफाल्गुनी ११उडुगत चंदे, प्राणत पुष्पोत्तरथी जिणंदे ॥ १ सुंदर. २ वीश सागरोपम. ३ सुंदर.४ सर्व. ५ देव. ६ समूह. ७ घर. ८ ब्राह्मण. ९ हाथी. १० स्त्री. ११ नक्षत्र. For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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