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श्री ब्रह्मचर्य व्रत पूजा.
विघ्न विदारण विपदा वारण, तारण तीर्थशान ॥ करुणा धारण मंगल कारण, मुनि माणिक्य महान ॥
अमने ब्रह्मनु यो दान ॥ ३ ॥
॥ अथ कलश ॥ ॥ देखो यारो क्या जख मारी, बीबी एसी लाये ॥ ए देशी ॥ सेवो सजन सेवो सजन, शील धर्म मुख दाया ॥ अष्ट प्रकारे प्रेम उदारे, पूजो श्रीजिनराया ।। सेवो० ॥१॥ सुंदर शील धर्म सेवंतां, संजम तप सेवाया। क्षांति गुप्ति मुक्ति कीर्ति, ५प्रत्यय सर्व सधाया सेवोगा। निर्मल शील धर्मथी नाशे, संकट भय ६समवाया ॥ सघलां कारज पामे सिद्धि, सुर वर होय सहाया ॥ सेवो ॥३॥ वैर विनाशी विनय विकाशी, सर्व महाव्रत "छाया । श्रेष्ठ नियम यम युक्त शील छे, अमृत प्राप्ति उपाया ॥सेवो०॥४॥ विरति वर्जित कलह विनोदी, ९भूरि कपट भराया ॥ नारद सरिखा निर्मल शीले, सिद्धि १०सदन सधाया ॥सेवो।।५॥ पावनता कारण भव तारण, तीरथ भूत कहाया । ११अर्हदर्शित मार्ग अनुपम,शील सरस समजाया । सेवो ॥६॥
१ तीर्थपति. २ दया धरनार. ३ मुनियोमा रत्न समान. ४ निभिता-अथवा मोक्ष. ५ प्रतीति. ६ समूह. ७ शोभा. ८ मोक्ष. ९ अत्यंत. १० घर. ११ अरिहंते देखाडयो छे मार्ग जेनो एq.
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