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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५० श्री ब्रह्मचर्य व्रत पूजा ॥ काव्यं ॥ द्रुतविलंबितं वृत्त ।। वृजिनविघ्नविपत्तिविदारणं, सुकृतकीर्तिकलापसुकारणं ॥ दिदिवि दिव्यमहोदयदायकं, प्रणिदधे किल शीलमहं सदा ॥१॥ ॥ मंत्रः ॥ ओ ही श्री परम पुरुषाय, परमेश्वराय जन्मजरामृत्युनिवारणाय, निर्मलब्रह्मचर्यदायकाय श्रीमते जिनेंद्राय, फलानि यजामहे स्वाहा ॥ ॥ अथ गीतं ॥ ताल लावणी ॥ ॥ फुलनी पांखडी ल्यो प्राण ॥ ए देशी ॥ अमने रब्रह्मनु यो दान, भय भंजन श्री भगवान ॥ अमने ब्रह्मनु यो दान ॥ ए आंकणी ॥ दायक नायक त्रिभुवन त्रायक, धायक २घाति वितान प्रभुता लायक पुरुहूत पायक, खायक गुण मणि खाण ॥अमने ॥१॥ आतम रामी अंतर जामी, स्वामी परम प्रधान ॥ ध्वेद विरामी विभु विशरामी, नामी मोक्ष पनिदान ॥ अमने ॥२॥ - १ ब्रह्मचर्यमुं. २ घाति कर्मनो समूह. ३ इन्द्र. ४ त्रण वेद रहित. ५ कारण. For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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