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उपरोक्त कारणसर खेडाना केटलाक भाविक गृहस्थोए एवी एक नानकडी पुस्तिका बहार पाडी सद्गत आचार्यश्रीने भक्तिभावे अंजलि आपवा विचार कर्यो, आचार्यश्रीना खेडा खातेना चरम चोमासा वखतना गुरुपूजनना आशरे रु. ३००) हता. तेमां खेडाना वतनी स्व. हीरालाल भगुभाइ शाहे पोतानी हयातीमांज रु. ५००)नी उदार सखावतनो उमेरो कर्यों एटले श्रावकोए तेवी पुस्तिका बहार पाडवानो निश्चय कर्यो. श्री हीराभाइनी उदारताने धन्यवाद घटे छे.
जन समूहने वधु प्रमाणमां उपयोगमां आवे तेवी तेमज सरळ, भाववाही, उचित रागरागणीवाळी, संगीतमय अने शब्दालंकारतेमज अर्थगौरवथी भरपूर एवी तेमनी लोकप्रिय रचनाओ पसंद करी तेने नानकडी पुस्तिका रुपे छपाववानुं नकी थयु. ___ एमां (१) श्री स्नात्र पूजा (२) श्री महावीर जिनपंचकल्याणक पूजा, (३) श्री ब्रह्मचर्यव्रत पूजा, (४) श्री वास्तुक पूजा तथा (५) श्री दिवाळीना देववंदन लीधां छे....साथे साथे पूज्य सूरीश्वरजीना जीवन चरित्रनी ट्रंकी रुपरेखा पण आपवामां आवी छे.
अहिं श्री महावीर जिन पंच कल्याणक पूजामांनी केटलीक ढाको श्री पर्युषण पर्वनां पंचकल्याणकनां व्याख्यानो वखते गईली तरीके ने केटलीक ढाळो स्तवन तरीके या सज्झाय तरीके पण बोली शकाय छे.
श्री ब्रह्मचर्यव्रत पूजामांनी केटलीक ढाळो सज्झाय तरीके पण बोली शकाय छे.
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