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प्रस्तावना
विद्वद्वयं वाचनाचार्य श्रीमद्विजय माणिक्यसिंहसूरीश्वरजी महाराज विरचित विविध पूजा. स्तवनादिना अनेक मौलिक ग्रन्थो आजसुधीमां व्हार पडी चूक्या छे अने ते ग्रन्थोना सदुपयोगथी भाविक श्रावकोने विद्वान सूरीश्वरजीनी रचनाओ उपर उत्तरोत्तर अनुराग अने भक्तिभाव वधतांज गया छे.
पूज्यमूरीश्वरजी उच्चकक्षानी विद्वत्ता तथा कवित्वशक्ति धरावता हता, तेथी तेमनी रचनाओ धर्मशास्त्रोना आधारवाळी होवा उपरांत ते उच्चकक्षाना शब्दलालित्य, अर्थगांभीर्य अने प्रसंगानुसारी चमत्कारी छंदरचनाथी भरपूर छे. एमनी रचनाओ श्रद्धालु मुरब्बी वर्ग जेटला ज प्रेमथी ऊगता नवजुवान श्रावक भाई व्हेनो पण होशे होंशे गाय छे अने धर्ममां स्थिर थता जाय छे. एमनी रचनाओ आधुनिक संगीतमय लय, तालबद्धता अने शब्द लालित्यद्वारा आबालवृद्ध सौने धर्म तरफनी अभिरुचि वधारवामां सफलता पूर्वक काम करे छे. ___ आवा समर्थ आचार्यश्रीनी रचनाओ देशकालथी अबाधित होय ए स्वभाविक छे. समर्थांनी समर्थ रचनाओने देशकालनां बंधनो नडी शकतां नथी, ए न्याये पूज्य महाराजश्रीनी रचनाओ गुजरात बहार पण प्रचार पामी छे. अने तेने परिणामे तेमनी सारी सारी रचनाओनी देवनागरी लिपिमां छापेली नानकडी पुस्तिकाओनी माग वधवा मांडी छे.
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