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श्रीमहावीर जिन पंचकल्याणक पुजा पंचकल्याणक प्रभुनां प्रीते, जपतां पाप जलायोरे ॥०॥
चोवीशमो० ॥२॥ तप गण गगन तपन तेजस्वी, विजयसिंहसरि रायोरे मि॥ सत्य कपूर क्षमा जिन उत्तम, पद्मविजय जय दायोरे में।
चोवीशमो० ॥३॥ रूप किर्ति उद्योत विजयना, अमर गुमान २अमायोरे में। सुगुरु प्रताप विजय पद सेवत, ज्ञान माणिक्य कमायो रे ॥में॥
चोवीशमो० ॥ ४ ॥ रस ऋषि निधि शशो वर्ष (१९७६) महावदी, एकादशी कवि ध्यायोरे ।। में० ॥ ४विनेय मेघविजय आग्रहथी, ए अधिकार रचायोरे ॥ में ||
चोवीशमो० ॥ ५॥ पुण्य पवित्रे पाटण क्षेत्रे, पंचासर जिनरायोरे ।। में० ॥ तास पसाये रही चोमासु, पूजन भाव बनायोरे॥माचोवीशमो।। शासनपति कल्याणक सुणतां, संघ सकल हरखायोरे ॥०॥ सूरिमाणक पदेवार्य समरतां, ओच्छव रंग वधायोरे ॥में० ॥
चोवीशमो० ॥७॥ ॥ इति कलशः संपूर्णः ॥ PRESENTENTERTAINMENTERNETRENDER
॥ इति बाचनाचार्य श्रीविजयमाणिक्यसिंहसूरिकता M श्री महावीरजिनपंचकल्याणकपूजा संपूर्णा ॥
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१ सूर्य. २ मायारहित. ३ शुक्रवार. ४ शिष्य. ५ महावीर.
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