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अगडदत्तस्स सम्माणो *
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तओ चिंतियं राइणा उत्तमपुरिसो एसो य जओ - विणओ मूलं पुरिसत्तणस्स मूलं सिरीए ववसाओ। धम्मो सुहाण मूलं दप्पो मूलं विणासस्स ॥ २३ ॥ अन्नं च - को चित्तेइ मऊर गई च को कुणइ रायहंसाणं ।। को कुवलयाण गंधं विणयं च कुलप्पसूयाणं ॥ २४ ॥ अवि य - साली भरेण तोएण जलहरा फलभरेण तरुसिहरा । विणएण य सप्पुरिसा नमंति न हु कस्स वि भएण ।। २५ ।। तंबोलासणसंमाणदाणपूयाइपूइओ अहियं । कुमरो पसन्नहियओ उवविठ्ठो रायपासम्मि ।। २६ ॥
( उत्तराध्ययनसूत्र-सुखबोधा टीका अगडदत्तकहा -५१-७६ )
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