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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अगडदत्तस्स सम्माणो * * * * * ५५ एत्यंतरम्मि सहसा दिट्ठो कुमरेण विम्हियमणेण । मयवारणो उ मत्तो निवाडियालाणबरखंभो ।। ३ ।। हमिटेण वि परिचत्तौ मारतो सोंडगोयर पत्ते । सडंमुहं चलंतो कालो व्व अकारणे कुद्धो ॥ ४ ॥ तुट्टपयबधरज्ज संचणियभवणेहट्टदेवउलो। खणमेत्तेण पयंडो सो पत्तो कुमरपुरओ त्ति ।। ५ ॥ तं तारिसरूवधरं कुमरं दट्ठ ण नायरजणेहिं । गहिरसरेणं भणिओ ओसर ओसर करिपहाओं ॥ ६ ॥ कुमरेण व नियतुरयं परिचइऊणं सुक्खगइग़मणं । हक्कारिओ गइदो इंदगइंदस्स सारिच्छौं। सुणिउं कुमारसदं दंती पुज्झरियमयजलपवाहो। तुरिओ पहाविओ सो कुद्धों काली व्व कुमरेस्स ॥८॥ कुमरेण य पाउरणं संवेल्लेऊण हिट्ठचित्तेण । धावंतवारणस्स सोंडापुरओ उ पक्खित्तं ।। ९॥ कोवेण धमधमेंतो दंतच्छोभे य देइ सो तम्मि । कुमरो वि पुट्ठभाए पहणइ दढमुट्ठिपहरेणं ॥ १०॥ ता ओधावइ धावइ चलइ खलइ परिणओ तहा होइ । परिभमइ चक्कभमणं रोसेणं धमधमेंतो सो।। ११ ।। अइव महंतं वेलं खेल्लावेऊण तं गयं पवरं । निययवसे काऊणं आरूढो ताव खंधम्मि ॥१२॥ का For Private And Personal Use Only
SR No.020552
Book TitlePayaya Kusumavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhav S Randive
PublisherPrakrit Bhasha Prachar Samiti
Publication Year1972
Total Pages169
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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