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होने का अधिक विश्वास रहेगा। अस्तु आशा है यह पुस्तक रोगी और चिकित्सक दोनों ही के लिये लाभ दायक होगी और वे इसका लाभ उठाकर श्रारोग्यता के उपायों की वृद्धि में सहायक होंगे।
इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिये हमें अपने मित्र श्रीमान् सेठ पूसामल जी पोदी से आर्थिक महायता मिली है एवं इसके प्रकाशित होने के पहिले ही अनेको ने इसके ग्राहक बन कर इस पुस्तक की उपयोगिता की कदर की है अतः हम उनके प्रति कृतज्ञता प्रकाश करते हैं। ब्यावर व्यास पूनमचन्द तनसुख वैद्य, ७८ । पौषबदी २४ आनरेरी सम्पादक --हिन्दो चैट. कल्पतरु
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