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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४४ ) (४५) ज्वरमें खट्टी चरको वस्तुओं पर मन बहुत चलता है। पर खट्टाई से कमजोरी के कारण सूजन श्राजाती है, पाण्डु हो जाता है, ज्वर जल्दी दूर नहीं होता तथा अनेक प्रकार की व्याधिये उठ खड़ी होती हैं। (४६) बीमार के लिये रहन सहनके पथ्यमें स्वच्छ वायुका आना, स्वच्छ जल पोना, स्वच्छता रखना, पाखाना, मोरी, नारदा, पेशाब जगह आदि का साफ रखना, और सूर्य का प्रकाश आने देना बहुत जरूरी और लाभदायक है। इनमें से किसी एक में खराबी वा कमी रहने से बीमारी जल्दी दूर नहीं होती है। (४७) रोगो को हमेशा धुले हुये स्वच्छ वस्त्र पहिनाना चाहिये । बीमारी में पसीना आदिके कारण कपड़े जल्दी खराब हो जाते हैं, उनमें बदबू आने लगती है अतः ५। ४ दिन से कपड़े ज़रूर वदला देना चाहिये। (४८) रोगीके कपड़े जल्दी खराब होते हैं। उसी प्रकार वीछाने का पथरना तथा तकिया भी जल्दी मैला हो जाता है अतः उनकी खोली बदलाना चाहिये तथा धूप भी दिखानी चाहिये । (38) मैले पथरनों में सड़न होती है, बदबू आती हैजो रोगी को लगातार नुकसान पहुंचाती है अतः प्रौढ़ने बिछाने के कपड़े स्वच्छ हो और स्वच्छ रहें इसका प्रबन्ध बराबर रखना चाहिये। (५०) रोगी केकमरे में सामग्री बहुत न रहने देनी चाहिये। अधिक सामग्री से सफाई नहीं होती है। जीर्ष व्याधि [पुरानी बीमारी ] में इसका ज्यादा ख्याल रखना चाहिये। For Private And Personal Use Only
SR No.020550
Book TitlePathya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchand Tansukh Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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