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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्यादा जरूरत होती है। इसलिये श्रावहवा बदलने के लिये रोगी को सुबह शाम टहलना चाहिये। जो रोगी ऐसा नहीं कर पाते उनमें बहुत दिनों तक शक्ति नहीं पाती। उन्हें बुखार नहीं होता, कुछ दुख नहीं होता, खाँसी नहीं पाती न शूल उठता है, परन्तु उनमें शक्ति नहीं बढ़ती और उनके चेहरे पर रौनक नहीं पाती ऐसी हालत में अगर उन्हें नीचे मंजिल में न रख ऊपर की मंजिल पर ही रखा जावे तो उनमें कुछ शकि और होशियारी आने लगे। जो शख्ल गरीबी के कारण घर छोड़कर कहीं बाहर नहीं जा सकते, यदि वे एक कोठरी में से दूसरी कोठरी में हो जाकर रहें तो उन्हें फायदा मालूम होने लगे। जगह पलटने का या आयहवा तबदील करने का परिणाम बहुत जल्द होने लगता है और इससे रोगी को अच्छा लाभ पहुंचता है। यह बात प्रतिदिन के अनुभव की है। जो धनवान हैं, जिन्हें हर बात की अनुकूलता है उन्हें श्राबहवा पलटने के लिये देश पर-देश में जाना कुछ कठिन नहीं है, परन्तु विचारे गरोव जिन्हें अच्छी तरह पेट भर कर एक वक्त भो खाने को नहीं मिलता वे क्या करें ? उनके लिये धर्मार्थ सार्वजनिक प्रारोग्य गृह ( जहां खाने पीने औषधि पानी देने और सेवा शुश्रूषा करने का उत्तम प्रबन्ध किया जाय ) बनाये जावेगे तो कितने ही प्राणियों का बचाव होगा और कितने ही कुटुम्बो की गृहस्थी चलेगी। __बहुत से मनुष्यों का मत है कि वीमारी मिटो कि रोगी चगा हुअा। परन्तु यह मत भूल भरा हुआ है। बीमारी की जैसे बहुत सी अवस्थायें है वैसे ही बीमारी के बाद की कमजोरी की भी बहुत सी अवस्थायें हैं। और उस कमजोरी के ठहरने का समय भी एक सा नहीं होता। यदि बीमारी मामूली हुई तो उसके बाद की रहने वाली कमजोरी बहुत थोड़े समय तक For Private And Personal Use Only
SR No.020550
Book TitlePathya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchand Tansukh Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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