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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १३३ ) जावे। खान पान में नियमितपन और मिताहारपन रखा जावे । बासी, ठण्डी, सड़ी, गली भारी वस्तु सेवन न को जावें। जल स्वच्छ किया पोवे, ज़रूरत हो तो उबाला पोवें। कपड़े लत्ते बरावर सर्दी गर्मी से बचाव करें मैले पहिने जावें । पैरों को गर्म रखने के लिये मोजो का व्यवहार करें। नियत समय पर सोजावें, रात को अधिक देर तक जागे नहीं। रात को बाहर न घूमे। शोतवाली जगह में न रहें, भूमि पर न सोवें, स्वच्छता रखें, कपड़े लत्तो को धूप दिखाया करें ।धूप करें। प्लेग की बीमारी में आस पास बीमार होने की खबर मिलते हा अपना मकान छोड़ दूसरे स्थान जा रहें । घर में चहा मरा मिले तो आलस्य न रख कर तुरन्त मकान छोड़ बाहर चले जावं । विचार ही विचार में समय न खोवे । चहे को हाथ से न पकड़े किन्तु चिमटे से पकड़ कर तैल डाल कर जला दें। टोका लगवा ले । माजे पहिन रखें । सर्दी से बचाव रखें। जब वीमारी मिट जावे तव पोछे मकान में लौट आवें और उसे पुतवा देने के बाद वहां रहें। हैजा। (Cholera) भयङ्कर रोग है । संक्रामक भी है । इस रोग में इधर उधर की दवायें देने की अपेक्षा प्रारम्भ ही में किसी अच्छे वैध से इलाज कराना चाहिये । रोगी के पाप्त स्वच्छता रखनी चाहिये। रोगा को खुली हवा में रखना चाहिये । पहिनने को कपड़े-खूब हो और गर्म भो हो । बीमार को खाट पर लेटाना-सुलाना चाहिये । वहां धूप करना चाहिये । मल मूत्रादि दूर ले जाकर फेंकना चाहिये, फिनाइल वा चने से स्थान साफ़ रखना चाहिये । रोगी के पास अधिक भीड़ न होने देना चाहिये। For Private And Personal Use Only
SR No.020550
Book TitlePathya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchand Tansukh Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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