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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १२८ ) (१३) अभयादि मोदक हरड की छाल, काली मिर्च, सौंठ, वायविडंग, श्रामला, पीपल, पीपलामूल, तज, पत्रज, नागरमोथा, ये चीजें आधा २ तोला दन्ती मूल, १ तोला, निसोत ५ तोले, मिश्री ३ तोले, सब चीजों का चूर्ण कर शहद में मिला के गोलियां बनावें । प्रातःकाल पानी से एक गोली खावें । दस्त होंगे। जब तक दस्त हो ठंडे पानी से हाथ पैर न धो गर्म पानी काम में लें। इससे कोष्ठ की शुद्धि होकर अनेक रोग नष्ट होते हैं । मात्रा-जुलाब के लिये १ तोले से १॥ तोला दस्त साफ लाने के लिये ३ माशे। ऊपर औषधियों के जो प्रमाण लिखे गये हैं वे मनुष्यों की प्रकृति के अनुसार कम ज्यादा किये जा सकते है।। (१४)स्वादिष्ट विरेचन-शुद्ध गंधक तोला २॥ सोंफ तोला २॥ मलेठी तोला २॥ सोनामुखी तोला ॥ खांड़ तोला १६ अलग २ पीस कर एकत्र मिलाले। मात्रा मासा ३।४ सोते समय ठण्डे जल से लेवे। (५) गुलाब के फूल तोला १ मजीठ तोला १ निसोत छाल तोला ? हरडे तोला १ सोनामुखी तोला १ खांड तोला मात्रा मासा ३ ठण्डे जल के साथ (१६) हरडे तोला ? For Private And Personal Use Only
SR No.020550
Book TitlePathya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchand Tansukh Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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