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( 3) - (२) कपड़े लत्ते सब साफ और स्वच्छ पहिने जावें ।
(३) जहां धूप न पाती हो उस मकान में अधिक समय तक नहीं ठहरना चाहिए।
(४) जहां हवा दुर्गन्धयुक्त वा अस्वच्छ रहती' हो वा बंद रहती हो वहां निवास नहीं करना चाहिए।
(५) जल साफ किया हुश्रा, यदि हो सके तो उबाला हुआ पिया जावे।
(६) कच्चे फल न खावें। ... (७) मौसिमी रसाल (फ्रूटम) अधिक परिमाण में और बार बार सेवन न किये जायें।
(E) पेट में ठंडी हवा न लगने पावे इसके लिये बनियान वा कब्ज़ा श्रादि हरदम पहिने रहें।
(E) वर्षा के जल में बहुत देर तक भीगते न रहें और विशेष कर २।३ वर्षा हो चुकने पर-गर्मी मिट जाने पर न
भीगें।
(१०) अजीर्ण हो उस प्रकार भोजन न किया जावे। (११) खानपान नियमित और साधारण किया जाये।
(१२) मिर्च, गर्म मसाले, मिष्टान हरे साग आदिका व्यवहार अधिक न किया जावे।
(१३) जुलाव न लिया जावे। साथ ही कन्ना की शिकायत भी हो तो साधारण औषधि से थोड़ी मात्रा में दूर की जावे।
कुछ लोग इस बीमारी में पेट का दर्द समझ कर तथा दस्तों की शिकायत देख कर 'पेचुरी' धरन टलने का अनुमान
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