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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४० ) व्यंजनकूडु अर्थकूडु तदुभयकूडु कूडउ अक्षरु कानइ मात्रि आगलइ ओछउ देववंदणवांदणइ पाडिक्कमणइ सझ्झाउ करतां पढनां गुणतां हुयइ अर्थंकडु कहइ हुइ सूत्र अर्थु बेउ कूडां कह्यां हुइ ज्ञानोपकरण पाटी पोथी कमली संपूड सांपुडी आशातन पगु लागउ थुंकु लागउँ पढतां प्रद्वेष मच्छरु अंतराइ उहनु कीवउ हुइ तथा ज्ञानद्रव्य भक्षितु उपेक्षितु प्रज्ञापराधि विणास्थं विणासतउं उवेरूगं हुंती सक्ति सार संभाल नही कीधियइ । अनेरइ ज्ञानाचारि जु कोइ अतीचारु हूउ सुक्ष्म बादरु मनि वचनि काइ पक्षदिवसमांहि तेह सवहि मिच्छामि दुक्कडं संवत् १३६९ मां लखायेला ताडपत्रमा अतिचारना अर्थमाथी : --- मृषावादि सहसातकारि आलु अभ्याख्यानु दीघउ रहस मंत्र भेदु कीधउ मृषोपदेसु दीघउ कूडउ लेखउ लिखिउ कूडी साखि थापणि मोसउ कुणहइ सउ राडि भेडि कलहू विद्याविढि जु कोइ अतिचारु मृषावादि व्रति भव सगलाइमाहि हुइ त्रिविधि त्रिविधिमिच्छामि दुक्कडं | अदत्तादानि पिराइउं छानउं फीठुउं लीघउं दीघउं वावरिउ घरि बाहिरि खत्रि पलइ नवकार व्याख्यान संवत् १३५७ मां लखायेला कागळना पुस्तकमां नवकारना अर्थमांथी : इणि पंचपरमेट्ठि नमस्कार महामंत्ति सुमरीतइ हुतइ ( पापतणउ ) क्षउ होयइ ईण संसारि दधिचंदनदूर्वदिक मंगलीक मणीयइ तीह मंगलिक सर्वही माहि प्रथम मंगलु एहु । इणि कारणि शुभकार्य आदि पहिलउ सुमरेवउ जिंवति कार्य एहतणइ प्रभावइ वृद्धिमंता हुयइ । यउ नमस्कारु अतीत अनागतच उवोस आदिजिनोक्तसारु सु तुम्हे विसेषहइ हिय डात इ. प्रस्ताव अर्थयुक्तु ध्येयु ध्यातव्यु गुणेवउ पढेवउंइणि नवकारि नत्रपद पांच अधिकार सहि अक्षर तीहमाहि छ भारी इकसठ्ठि लघु इसउ नमस्कारतणउं महात्म्यु ॥ गणितसार. श्रीधराचार्यनो गणितसार गुजराती अर्थ साथै आमां आपेलो छे. प्रतीक पाटणमां दफनखानना राज्यमां शिलारसाहना व्यापारमां सं. १४४९ मां मोढ ज्ञातिना कुटुंब वास्ते राजकीर्तिमिश्रे लखेल छे. संवत् १४४९ ना जूना जैनेतर गुजराती गद्यना नमूना माटे घगो उपयोगी छे. थोडोक भाग नीचे उतारेलो छे. For Private And Personal Use Only शिवु भणी देवाधिदेव भट्टारकु महेश्वरु किसु जु परमेश्वर कैलासशिषरुमंडनु पार्वती हृदयरमणु विश्वनाथ जिणं विश्व नीपजाविउं तसु नमस्कारु करीउ बालावबोधनार्थ बालभणीइं अज्ञान तीहं किहिं अवबोध जाणिवातणइ अर्थि आत्मीय यशोवृद्धयर्थ श्रेयस्करणार्थ श्रीधराचार्य गणित प्रकटीकृतु ॥
SR No.020547
Book TitlePatanna Bhandaro Ane Khas Karine Tema Rahelu Apbhramsa tatha Prachin Gujarati Sahity
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal Dahyalal Dalal
PublisherMaherbanji Dadachanji Beheram
Publication Year1915
Total Pages45
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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