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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३७ ) 'श्रीपुंज पुंज नरिंद बहुकवित केरिसुछंद ॥ ७१ ॥ नवरसावलासउलोल नवगाहगेयकले ल । नियबुद्धि बहुअ विनाणि गुरुवम्मफल बहु जाणि ॥ ७२ ॥ इय पुण्यचरियप्रबंध ललिअंगनृपसंबंध | पहुपासचरियह चित्त उद्धरिय एह चरित्र | कुलकं ॥ ७३ ॥ दशपुरह नरमझा रि श्रीसंघतणइ आधारि । श्री शांतिसूरि सुसाइ दुहदुरीय दूर पलाइ ॥ ७४ ॥ जं किमवि अलियमसार गुरुवर्णविचार | कवि कविउ ईश्वरसूरि तं खमउ बहुगुण सूरि ॥ ७९ ॥ ससिर ( ६१ ) विक्रमकाल ए चरीय रचिउ रसाल । जां अरविससि मेरतां जउ गच्छ सेंडर || ७६ ।। वाचत वीरचरित विच्छरउ जगि जयकित्ति । तसु मणुअभत्र धन्न धन्न श्री पासनाह प्रसन्न ॥ ७७ ॥ इति श्रीललितांग नरेश्वर चरित्रं समाप्तं । तस्मिन्समाप्ते समाप्तोयं रासकचूडामणि पुण्यप्रबंवः तथात्र रास के श्रीललितांगचरित्रे प्रथमं गाथा १ दुहा २ रासाटक ३ षट्पद ४ कुंडलिया ५ रसाउला वस्तु ७ इंद्रवज्रोपेंद्रवज्रा काव्य ८ अडिल्ल ९ मडिल्ल १० काव्यार्धबोली ११ अडिल्लार्धबोली १२ सूडबोली १२ वर्णनबोली १४ यमकबोली १९ छप्पय १६ सोरठी । संवत् १९६१ बर्षे. नंदबत्रीशी चतुष्पदी - तपगच्छना न्यानशीलना शिष्य संघकुले नंदबत्रीसी १५२ चोपइओमां संवत् १९१० ( मां रचेली छे. तपगच्छनायक एह मुणिद जय श्रीहेमविमलसूरिंद न्यानशील पंडित सुविचार सीस कही चूपइ उदार ॥ ५० ॥ संवत पनर सादा मझारि चैत्र हि सुदि तेरसमझारि जेनर विदुर विशेषइ सुणइ मुनिवर संघकुल इम भणइ ॥ ५१ ॥ बिद्दलणपंचाशिकाकाव्य चोपाइ -- आ काव्य गुजरातमां मळती बिलण पंचाशिका (पूर्वार्ध अने उत्तरार्ध) नो दूहा चोपइमां अनुवाद छे, आ चोपइनो कर्ता पण छेवटना भाग उपरथी बिहलण नामनो कोइ पंडित लागे छे रच्या संवत् आपली नथी For Private And Personal Use Only
SR No.020547
Book TitlePatanna Bhandaro Ane Khas Karine Tema Rahelu Apbhramsa tatha Prachin Gujarati Sahity
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal Dahyalal Dalal
PublisherMaherbanji Dadachanji Beheram
Publication Year1915
Total Pages45
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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