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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १३ ) अंतरंगसंधि धर्मप्रभाचार्यना शिष्य पंडित रत्न प्रभनी अंतरंग संधिना नव अ धिकारो (९ कडवा ) मां भव्य अने अभव्यना संवाद रूपे तथा मोहसेना तथा जिनसेनाना युद्ध रुपे अंतरंग रिपुना विजयनुं वर्णन छे. आनी एक ताडपत्र तथा बोजी कागळनी प्रत बे प्रतो छे. एम Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चउरंगसंधिना पांच कडवामां चार शरणनुं वर्णन े, धनपाल पंडितनी पंचमी कहा ( भवित्तकहा ) २२ संधिओमां छे. आदिनुं एक कडवु उदाहरण तरीके नीचे आपलं छे. जिणसासणि सातु णिधुयपाव कलंकमलु । सम्मत्तविले निणह सुयपंचामीहि फलु ॥ पणवि पिणु जिणु तइलाय बंधू दुत्तरतरभवणिव्वूढखंधू । भव्वयणपंकयपयंगु कयकरणमोह तिमिरोहभंगु || नीमभरियमुवणंतरालु उक्कयदुक्कम्मतरुमूलजालु ॥ साउ अराउ अको अलोहु भणावलेउ । परमेसरु परमगुणप्पहाणु संपत्तु परमनिव्वुइनिहाणु अरहंतु अणंतु महंतु सिउ संकंतु सुहुमु अणाइवंतु । परमप्पड पंडिउ महत्थु पवर महासिरिपरमिट्टि परमकारण कयत्थु ॥ ६त्ता । सो हिय धरेवि पवरमहासिंरिकुलह रहो । वित्थार मिले!इ कित्तणु भविसणराहिवहो || अंत. इय भविसत्तकहाए पयडियधम्मत्थक ममोक्खाए बुहघणपालकयाए इत्यादि आ कथामां कार्तिक शुक्ल पंचमी ( ज्ञानपंचमी ) ना फल वर्णनरूप भविष्यदत्त राजानी कथा छे. हेमाचा ना गुरु देवचंदनुं सुलसाख्यान १७ कडवामां छे. एह संधि पुरसध्यवसथ्य देवचंदसूरीहिं समध्यिय । इय बहुगुणभूसिउ जिणसुपसंसिउ सुलसचरिउम्मवियहं निसुणत पढ़तह भत्तिए सत्तणं दइ मोक्खु मोक्खथ्ययहं ॥ खरतर जिनदत्ताचार्यना उपदेश रसायणनी ८० गाथाओ छे. For Private And Personal Use Only
SR No.020547
Book TitlePatanna Bhandaro Ane Khas Karine Tema Rahelu Apbhramsa tatha Prachin Gujarati Sahity
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal Dahyalal Dalal
PublisherMaherbanji Dadachanji Beheram
Publication Year1915
Total Pages45
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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