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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१२) रातीमा जेम काव्यने रास कहे छे तेवी रीते अपभ्रंश तथा प्राकृत भाषामां रासो हता. यशो देवोपाध्यायका संवत् १७४ मां रचेला नवतर भाष्यविवरणमां माणिक्यप्रस्तारिका प्रतिबद्ध रासक नाम आवे छे. ( अनयोश्च विशेषविधिMकुटसप्तमीसन्धिबन्धमाणिक्यप्रस्तारिकाप्रतिबद्धरासकाभ्यामवसेयः ) ___पाटणना भंडारमा संदेशरासक नामनोविरहिणीसंदेशविषयक प्राकृत-अपभ्रंशमां, अंतरंग रास तथा नेमि रास अपभ्रंशमां छे. मुनिवर वरदत्तना बनावेला वज्रस्व मि चरित्रनी बे संधिओ छे. प्रथम संधिमा १२ अने बीनीमा ९ कडयां छे. कुल ग्रंथान ३०० छे. आ चरित्रना त्रण ताडपत्रो पाट गमां थे, तेम एक खंभातमा पण छे. प्रथम कड्यूँ नाचे प्रमाणे छे: अहो जण निमुणज उ कन्नु धरिजउ बइरसाभिनुनिवरचरिउ ।। १ ॥ साहउं सुमणाहरु भवियह सुंदरु नि जिणवयणु समुद्धरिउ ॥ तुंबवननामि पुरवरु पहाणु अत्येत्थु भराहि वरगुणनिहाणु। निणभवणिहि सुंदरु किउ पवित्तु देउलविहारमंडिउ पवित्तु ॥ २ ॥ नंदनवणसरिसरवरहिं रम्म पालाहं नर तित्थु जिणंदधम्मु । तहिं नयरि अत्यि धणु नाउ सेठ्ठि जो हत्थु न उड्डइ कसु विहे ॥ ३ ॥ तः धणगिरि नामि पहाणु पुत्तु पुरमंडणु अस्यि सुगुणहिँ जुत्तु । २...वयवंसुप्भवउ सुद्धभावउ निम्मलगुणमंदिरु समय उ ॥ ४ ॥ उसंतमोहमे क्वाभिलासि आहलासु न बंधइ गेहवासि । जा कावि वरिजइ तासु वाल नवजोव्वणवरनयणविसाल ॥ ५ ॥ पडिसेहइ सो मुनि जेम नारि नियजोयणु म अयत्थ हारि । पवज लेसु निम्विन्नकामु मइ सफलु करोषणु मणुयजम्मु ॥ ६ ॥ अन्नइ पभाणिजइ सुंदरीए नियतायजणणिग्खामायणीए । हउ अवसवरित्तणि करिसु एहु महु मणइछु एहु बरु वरेहु ॥ ७॥ ( धत्ता ) एहु जइ न वरेसइ नवि परणेसइ तो मइ माइ मरेवउ । एहु नयणसुसुंदर रूवपुरंदरु अक्स नाहु करवउ ॥ ८ ॥ अंत. मुनिवरवरदत्तिं गणहरभात्त वइरसामिगणहरचरिउ । साहिज उ भावि मुंचहु पावि नि तिहुयणु नियगुणभरिउ ।। For Private And Personal Use Only
SR No.020547
Book TitlePatanna Bhandaro Ane Khas Karine Tema Rahelu Apbhramsa tatha Prachin Gujarati Sahity
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal Dahyalal Dalal
PublisherMaherbanji Dadachanji Beheram
Publication Year1915
Total Pages45
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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