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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १० ) दाक्खिन्नइंदसूरिं नमामि वरवन्नभासिया सगुणा । कुवलयमालव कहा कुवलयमाला कहा जस्स ॥ आना संक्षेप रत्नप्रभाचार्ये संस्कृतमां करेलो छे. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शालिवाहनना वखतमां थयेला पादलिप्ताचार्यनी तरङ्गलोला कथानों आशरे १६०० गाथानो संक्षेप मळी आवे छे. कथानी वस्तु श्रेणिकना पुत्र कोणकना समयमां कौशाम्बीमां मूकेली छे. आ कथानी रचना वगेरेनो वृत्तांत प्रबंधकोश तथा प्रभावक चरित्रमाथी मळे छे. सीस कहवि न फुटं यमस्स पालित्तयं हरंतस्स । जस्स मुहनिझ्झराओ तरङ्गलोला नई वूढा || प्रभावक चरित्र. प्रसन्नगम्भीरपथा रथाङ्गमिथुनाश्रया । पुण्या पुनाति गङ्गेव गां तरङ्गवती कथा ॥ प्रतिष्ठानना शालिवाहनने नायक कल्पीने भूषणभट्टसूनुए लीलावती नामनी १८०० ग्रंथ प्रमाण १३३२ गाथाबद्ध शृंगारिक पद्यमयी कथा महाराष्ट्री मां रचेली छे. कथानी वस्तु कविनी स्त्री प्रियतमाए कहेली छे अने कविए ते कवितामां गूंथी छे: भणियं च पिययमाए रइयं मरहट्टदेसिभासाए. आ कथाना श्रवण करनार विरहथी दुःखित थता नथी. हेमाचार्यना काव्यानुशासनमा प्राकृत पद्य कथा तरीके लीलावतीनुं उदाहरण आपेलं. छे ते आ हशे . दहत्थ कहा एसा अणुदियहु जे पढति निसुणन्ति । ताय पियविरहदुरकं न होइ कइयावि तणुअंगि ॥ १३३० ॥ आ उपरांत बुद्धिसागरना शिष्य धनेश्वरे संवत् १०८० मां रचेली शील उपर सुरसुंदरी कथा, २० उद्देशमय दवदंती कथा, सज्जन उपाध्यायना शिष्य महेश्वर सूरिनी २००० गाथामां झानपंचमी कथा ( भविसदत्त कहा ) महसूरिनुं सीया चरित्र वगेरे काव्यमय कथाओ छे. १२ मा तथा १३ मा शतकमां रचायेला तीर्थकरोनां प्राकृत चरित्र काव्यो घणां छे. मानदेवना शिष्य शीलाचार्यनुं महा पुरुष चरित्र (१२८०० प्रथाग्र ) संवत् ९२१ मां रचायेलुं छे. वस्तु त्रिषष्ठिनीज छे. वसुदेवहिंडिं नामनी लम्भकमय बृहत्कथामां कृष्णना पिता वसुदेवनुं पराक्रममय For Private And Personal Use Only
SR No.020547
Book TitlePatanna Bhandaro Ane Khas Karine Tema Rahelu Apbhramsa tatha Prachin Gujarati Sahity
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal Dahyalal Dalal
PublisherMaherbanji Dadachanji Beheram
Publication Year1915
Total Pages45
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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