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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 358/पाण्डुलिपि-विज्ञान में या अलमारियों में रखने से कीड़े-मकोड़े नहीं पाते । अाजकल नेपथलीन की गोलियाँ या कपूर से भी यह काम लिया जा सकता है। तिरकने वाले (Brittle) ताड़ एवं भोजपत्रों का उपचार पहले कागज के लिए बताए शिफन-उपचार की विधि से किया जाना चाहिये । शिफन ताड़पत्र के ग्राकार से चारों ओर से कुछ बड़ी होनी चाहिये, ताकि पत्रों के किनारे क्षतिग्रस्त न हो सकें । कुछ विशेष सुरक्षा के लिए शिफन-उपचारित पाण्डुलिपियों को पाण्डुलिपि के योग्य पुटु के खोलों या बक्सों में रख देना चाहिये । ताड़पत्रों एवं भोजपत्रों पर धूल जम जाती है, जो उन्हें क्षति पहुँचाती है । इनमें से जिनकी स्याही पानी से प्रभावित न होती हो उनकी सफाई पानी में ग्लिसरीन (1:1) का घोल बना कर उससे रूई के फाहे से करनी चाहिये । जिनकी स्याही पानी मे प्रभावित होती हो, उनकी सफाई कार्बन टेट्राक्लोराइड या ऐसीटोन से की जानी चाहिये ।। ___ ताड़पत्र या भोजपत्र, जो काजल की स्याही से लिखे गये हैं, यदि उनकी स्याही फीकी पड़ जाय या उड़ जाय तो उनका उपचार नहीं हो सकता है, किन्तु यदि ताड़ात्र पर शलाका से कौर कर लिखा गया है तो उनकी स्याही उड़ जाने पर उपचार सम्भव है । तब ग्रेफाइट का चूर्ण रूई के पैड से उस ताड़पत्र पर मला जाता है और बाद में रूई के फाहे से उसे पोंछ दिया जाता है, जिससे ताड़पत्र में अक्षर स्याही से जगमगाने लगते हैं और ताडपत्र स्वच्छ भी हो जाता है। यदि ताड़पत्र या भोजपत्र चिपक जायें तो इन्हें तरल, गर्म पैराफीन में डुबोया जाता है और तब बहुत अधिक सावधानी से एक-एक पत्र अलग किया जाता है । इस प्रक्रिया के लिए बहुत अभ्यास अपेक्षित है। बिना अभ्यास के पत्रों को अलग करने से ग्रन्थ की हानि हो सकती है, अतः दक्ष और अभ्यस्त हाथों से ही यह काम करना चाहिये । ऊपर ग्रन्थों के रख-रखाव और सुरक्षा और मरम्मत के लिए जो उपचार दिये गये हैं, उनमें डैक्सट्राइन तथा स्टार्च की लेई का उपयोग बताया गया है। इनके बनाने की विधि निम्न प्रकार है : डैक्स्ट्राइन की लेई डैक्स्ट्राइन 2.5 किलो पानी 5.) किलो लौंग का तेल 40 ग्राम सफ्परोल 40 ग्राम बेरियम कार्बोनेट विधि एक पीतल की देगची में पानी उबालने रखें । 90° सें० का तापमान हो जाने पर डैक्स्ट्राइन का चूर्ण पानी में मिलाइये, धीरे-धीरे पानी को खुब चलाते जाइये ताकि डैक्स्ट्राइन समान रूप से मिले और गुठले न पड़ने पायें । 2.5 किलो डैक्स्ट्राइन इस विधि से मिलाने में 30-40 मिनट तक लग सकते हैं। अब इस घोल को बराबर चलाते जाइये और इसमें वेरियम कार्बोनेट और मिला दीजिये। तब लौंग का तेल और सपपरोल भी 80 ग्राम For Private and Personal Use Only
SR No.020536
Book TitlePandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra
PublisherRajasthan Hindi Granth Academy
Publication Year1989
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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