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________________ 266/पाण्डुलिपि-विज्ञान Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 6 For Private and Personal Use Only पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा बंगाल में इसका आरम्भ आश्विन, कृष्णा 1 (पूर्णिमान्त) से, अतः इस सन में 592-93 जोड़ने से ईसवी सन् और 649-50 जोड़ने से विक्रम सं० मिल जाता है। दक्षिण में यह संवत् कुछ बाद में प्रचलित हुआ । इससे उत्तरी और दक्षिणी फसली 'सनों' में सवा दो वर्ष का अन्तर हो गया--दक्षिण के फसली सन् से विक्रम संवत् जानने के लिये उसमें 647-48 जोड़ने होंगे और ईसवी सन के लिये 590-91 जोड़ने होंगे : संवतों का सम्बन्ध सन् प्रचलित प्रारम्भ मास और वर्ष सौर विक्रम सं० ईसवी सन् निकालना निकालना 1 5 विलायती सन् उड़ीसा तथा बंगाल सौर आश्विन अर्थात् कन्या संक्राति । मासक्रम चैत्रादि 649-50 592-93 के कुछ भागों में जिस दिन संक्रान्ति का प्रवेश उसी जोड़ने से जोड़ने से दिन पहला दिन अमली सन् उड़ीसा के व्यापा- भाद्रपद शुक्ला 12 से रियों में एवं कच हरियों में बंगाली सन् या बंगाल में सौर बैशाख, मेष संक्रान्ति से महीने सौर (मतः पाख, एव तिथि नहीं) 650-51 593-94 बंगालाब्द बंगीब्द संक्रान्ति प्रवेश के दूसरे दिन से जोड़ने से जोड़ने से चिटगाँव में ___ बंगाली सन् से 45 वर्ष पीछे 595-96 638-39 जोड़ने से जोड़ने से इलाही सन् अकबर ने हिजरी अकबर के राज्यारोहण की तिथि 2 ईरानी : ईरानी महीनों के अनुसार इस 1912 1555--56 सन् के स्थान पर रबी उस्सानी हिजरी 963 से 25 सन् के महीनों के नाम 1-फरवर- जोड़ने से जोड़ने से प्रचलित किया दिन पीछे ईरानी वर्ष के पहिले महीन दीन 2-उदिवहिश्त, 3-खुर्दाद, 4-तीर, www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SR No.020536
Book TitlePandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra
PublisherRajasthan Hindi Granth Academy
Publication Year1989
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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