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6 पाण्डुलिपि-विज्ञान
(3) पांडुलिपियों के मिलने के स्थान के समस्त परिवेश से प्राप्त पांडुलिपि का सम्बन्ध
निरूपण । (4) पांडुलिपियों के विविध पाठों के संकलन के क्षेत्रों का अनुमानित निर्देश । (5) पांडुलिपि के काल-निर्णय की विविध पद्धतियाँ । (6) पांडुलिपि के कागज, स्याही, लेखनी आदि का पांडुलिपि के माध्यम से ज्ञान और
प्रत्येक काल-ज्ञान के अनुसंधान की पद्धति । (7) पांडुलिपि की लिपि का विज्ञान तथा ऐतिहासिक पृष्ठभूमि । (8) पांडुलिपि के विषय की दृष्टि से उसकी निरूपण शैली का स्वरूप । (9) पांडुलिपि के विविध प्रकारों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य तथा उन प्रकारों का भौगोलिक
सीमा-निर्देश । (10) पांडुलिपि की प्रतिलिपियों के प्रसार का मार्ग तथा क्षेत्र । (11) पांडुलिपियों के माध्यम से लिपि के विकास का इतिहास । (12) लिपिकारों के निजी व्यक्तित्व का परिणाम । (13) लिपियों में वैशिष्ट्य और उन वैशिष्ट्यों की भौगोलिक तथा ऐतिहासिक व्याख्या । (14) पांडुलिपियों की प्रामाणिकता की परीक्षा । (15) पाठालोचन-प्रणाली । (16) पाठ-पुनर्निर्माण-प्रणाली । (17) शब्द रूप और अर्थ तथा पाठ । (18) पांडुलिपियों की सुरक्षा की वैज्ञानिक पद्धतियाँ । (19) पांडुलिपियों के संग्रहालय और उनके निर्माण का प्रकार । (20) पांडुलिपियों के उपयोग का विज्ञान । (21) पांडुलिपि और अलंकरण । (22) पांडुलिपि में चित्र । (23) पांडुलिपि की भाषा का निर्णय । (24) पांडुलिपि-लेखक, प्रतिलिपिकार, चित्रकार और सज्जाकार । (25) पांडुलिपि, प्रतिलिपि लेखन के स्थान, तथा प्राप्त सुविधाएँ, प्रतिलिपिकार की
योग्यताएँ। (26) ग्रन्थ-लेखन तथा प्रतिलिपि-लेखन के शुभ-अशुभ मुहूर्त । (27) पांडुलिपि के लिप्यंकन में हरताल प्रयोग, काव्य प्रयोग, संशोधन-परिवर्द्धन को
पद्धतियाँ ।
पांडुलिपि विज्ञान इसलिए भी विज्ञान है कि वह पांडुलिपि का अध्ययन किसी एक विशिष्ट पांडुलिपि को दृष्टि में रखकर नहीं करता वरन् पांडुलिपि के सामान्य रूप को ही लेता है । पांडुलिपि शब्द से कोई विशेष पुस्तक सामने नहीं आती । प्रत्येक प्रकार की पांडुलिपियों में कुछ सामान्य लक्षण ऐसे होते हैं कि उनसे युक्त सभी प्रन्थ पांडुलिपि कहे जाते हैं। पांडुलिपि शब्द के अन्तर्गत समग्र पांडुलिपियाँ सामान्य रूप में अभिहित होती है जो लिखी गई हैं, लिखी जा रही हैं, या लिखी जाएंगी। यह विज्ञान उन सभी को दृष्टि में रखकर विचार करता है। इसी दृष्टि से पांडुलिपि-गत सामान्य विषयों का पांडुलिपि-विज्ञान विश्लेषण करता है और विश्लेषित प्रत्येक अंग पर वैज्ञानिक दृष्टि से कार्य-कारण परम्परा
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