________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
विषय-सूची
क-प्रकाशकीय भूमिका
I-II ख-भूमिका
III-VIII ग-विषय-सूची
IX-XIII घ–चित्र-सूची 1. पांडुलिपि-विज्ञान और उसकी सीमाएँ
1-18 नाम की समस्या-1, पांडुलिपि-विज्ञान क्या है-2, पांडुलिपि-विषयक विज्ञान की आवश्यकता-8, पांडुलिपि-विज्ञान एवं अन्य सहायक विज्ञान-9, शोध प्रक्रिया विज्ञान-10, लिपि-विज्ञान-11, भाषाविज्ञान-11, पुरातत्त्व-12, इतिहास-12, ज्योतिष-13, साहित्यशास्त्र-13, पुस्तकालय विज्ञान-14, डिप्लोमैटिक्स-14, पांडुलिपिविज्ञान-15, आधुनिक पांडुलिपि आगार-17 । 2. पांडुलिपि-ग्रन्थ-रचना-प्रक्रिया
19-66 रचना-प्रक्रिया में लेखक तथा भौतिक सामग्री-19, लेखक-20, लिपिकार-23, पर्यायवाची-24, महत्त्व-25, लिपिकार द्वारा प्रतिलिपि में विकृतियाँ-25, उद्देश्य-28, पाठ सम्बन्धी भूलों का पता लगाना-29, लेखन-31, लेखन : प्रानुष्ठानिक टोना-31, अन्य परम्पराएँ-32, शुभाशुभ-33, सामान्य परम्पराएँ-33, लेखन दिशा-33, पंक्तिबद्धता-34, मिलित शब्दावली-34, विराम चिह्न-34, पृष्ठ संख्या35, अक्षरांकों की सूची-36, संशोधन-38, चिह्न-38, छूटे अंश की पूर्ति के चिह्न-40, अन्य चिह्न-41, संक्षिप्ति-चिह्न-41, अंकलेखन-42, शब्दों से अंक-42. शब्द और संख्या : साहित्य-शास्त्र से-44. विशेष पक्ष : मंगल-प्रतीक-45, नमस्कार-46, आशीर्वचन-47, प्रशस्ति--47, वर्जना-47, उपसंहार : पुष्पिका-48, शुभाशुभ--48, लेखन-विराम में शुभाशुभ-49, लेखनी : शुभाशुभ-49, स्याही-52, प्रकार-54, विधियाँ-56, कुछ सावधानियाँ-57, विधि-निषेध-58, रंगीन स्याही59, सुनहरी, रूपहरी स्याही-60, चित्र रचना-रंग-60, सचित्र ग्रन्थों का महत्त्व-62, ग्रन्थ रचना के उपकरण-64, रेखापाटी-64, डोरा :
डोरी-64, ग्रन्थि-64, हड़ताल-66, परकार-66 । 3. पांडुलिपि-प्राप्ति और तत्सम्बन्धित प्रयत्न : क्षेत्रीय अनुसन्धान 67-128
क्षेत्र एवं प्रकार-67, निजी क्षेत्र-67, खोजकर्ता-68, व्यवसायी माध्यम-69, साभिप्राय खोज-69, विवरण लेना-71, विवरण का स्वरूप-72, बाह्य-विवरण-72, उदाहरण--72, प्रांतरिक परिचय-80, अतिरिक्त पक्ष-82, रख-रखाव-82, पुस्तक का स्वरूप--82, पुस्तक
For Private and Personal Use Only