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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥३५२११ तिग १२. श्रीज्योति ॥१२८ ॥ कीलग २२ दामाण २३ एगावली २४ य गयदंत २५ विच्छुयअली य २६ । गयविक्कमे २७ य तत्तो सीहनिसाई नक्षत्राणां करडका २८ य संठाणा ॥१२९ ॥ तिग १ तिग २पंचे ३ गसयं ४ दुग दुग ६ बत्तीस ७ तिगं ८ तह तिगं ९ च । छ १० पंचगाद परिमाणा११ तिग १२ एक्कग १३ पंचग १४ तिग १५ छक्कग १६ चेव ॥ १३० ॥ सत्तग १७ दुग १८ दुग १९पंचग २० एके २१ कग दि प्रा. ६ 18.२२ पंच २३ चउ २४ तिग २५ चेव । एकारसग २६ चउकं २७ चउककं चेव तारग्गं ॥१३१॥ एवं नक्खत्ताणं संठाणा तारगाण य पमाणं । भाणियं एत्तो वोच्छं नामाणि य देवयाओ य ॥ १३२ ।। अभिई सवण धणिट्ठा सयभिसया दो य होंति भद्दवया । रेवई अस्सिाणि भरणी य कत्तिया रोहिणी चेव ।। १३३ ॥ मिगसिर अद्दा य पुणव्वसू य पूसो य तहऽसिलेसा य । मघ पुनफग्गुणी उत्तरा य हत्थो य चित्ता य ॥ १३४ ॥ साइ विसाहा अणुराह चेव जेट्ठा तहेव मूलो य । पुच्चुत्तरा असाढा य जाण नक्खत्तनामाणि ॥ १३५ ।। बम्हा विण्हू य वम् वरुणो तहजो अणंतरो होई । अभिवुड्डि पूस गंधव्वमेव परतो जमो होइ ।। १३६ ॥ अग्गि पयावइ सोमे रुद्दे अदिई विहस्सई चेव । नागे पिइ भग अज्जम सविया तट्ठा य वाऊ य ।। १३७ ।। इंदग्गी मित्तोऽविय इंदे निरई य आउ विस्सा य । नामाणि य देवाणं एत्तो सीमंपि मे सुणसु ॥ १३८ । एगं च सयसहस्सं अट्ठाणउई सया वा पडिपुण्णा । एसो मंडलछओ सीमाणं होइ नायव्यो ।। १३९ ॥छच्चेव सया तीसा भागाणं अभिइसीमविक्खंभे । दिट्ठो सव्वडहरगो सव्वेहि अणंतनाणीहि ॥ १४० ।। सयभिसया भरणीए अद्दा अस्सेस साइ जेट्ठाए। पंचुत्तरं सहस्सं भागाणं सीमविक्खंभो ॥ १४१ ।। एयं चेव य तिगुणं पुणव्वसूरोहिणीविसाहाणं । तिण्डं च उत्तराणं अवसेसाणं भवे दुगुणं ॥ १४२ ॥ विक्खम्भसीम भणिया ॥३५२॥ नक्खचाणं च अपरिसेसाणं । इइ नखत्तपरिमाणं छ8 पाहुडं। CALCACACANCIENCE RRCIEWAROOMCN For Private and Personal Use Only
SR No.020535
Book TitlePanchashak Mulam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1928
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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