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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालप्रमाण श्रीज्योतिष्करंडके ॥३४४॥ पूर्वभृद्वालभ्यप्राचीनतराचार्यरचितं ज्योतिष्करण्डकम् प्राभृतं १ सुण ताव सूरपन्नत्तीवण्णणं वित्थरेण जे निउण | थोगुच्चएण तत्तो वोच्छं उल्लोगमेत्तागं ॥ १ ॥ कालपमाणं १ माण २ निप्फत्तिं अहिगमासगस्सवि ३ य । वोच्छामि ओमरत्तं ४ पव्वतिहिणो समात्तिं च ५ ॥ २ ॥ नक्खत्तपरीमाणं ६ परिमाण वावि चंदसूराणं ७ । नक्खत्तचंदसूराण गई ८ नक्खत्तजोगं च ९ ॥३॥ मंडलविभाग १० मयणं ११ आउट्टी १२ मंडले मुहु|त्तगई १३ । उउ १४ विसुव १५ वईवाए १६ तावं १७ वुड्ड च दिवसाण १८॥ ४ ॥ अवमासपुण्णमासी १९ पणछपव्वं २० च पोरिसिं २१ वावि । ववहारनयमएणं तं पुण सुण मे अणनमणो ॥५॥ लोगाणुभावजणियं जोइसचकं भणति अरिहंता । ठा सव्वे कालविसेसा जस्स गइविसेसनिष्फना ॥ ६॥ संखेवण उ कालो अणागयातीतवट्टमाणो य । संखेजमसंखेजो अणंतकालो) उ निद्दिष्ठों ॥ ७॥ कालो परमनिरुद्धो अविभज्जो तं तु जाण समयं तु । समया य असंखेज्जा हवा हु उस्सासनिस्सासो ॥ ८ ॥ उस्सासो निस्सासो यदो (दुवे )ऽवि पाणुत्ति भन्नए एको । पाणा य सत्त थोवा थोवावि य सत्त लवमाहु ॥९॥ अकृत्तीसं तु लवा अद्धलवो चेव नालिया होइ तीसे पुण संठाणं छिडे उदकं च वोच्छामि ॥ १० ॥ इइ कालपमाणपाहुडं ११ दालिमपुप्फागारा लोहमई नालिगा उ कायब्वा। तीसे तलंमि छिदं छिद्दपमाणं च मे सुणह ॥११॥ छनउयमूलवालेहि तिवस्सजायाए गयकुमारीए । उज्जुकयपिंडिएहि उ कायन्वं नाडियाछिदं ॥ १२ ॥ अहवा दुवस्सजायाए गयकुमारी' पुच्छ ॐRA ॥३४४॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020535
Book TitlePanchashak Mulam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1928
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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