SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 327
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्थित्युदीरणा श्रीचन्द्र-11 अथ स्थित्युदीरणा-पत्तोदयाए इयरा सह वेयइ ठिइउदीरणा एसा । बेआवलियाहीणा जावुक्कोसत्ति पाउग्गा पिकृत ॥ ६६८ ।। वेयणियाऊण दुहा चउन्विहा मोहणीय अजहण्णा । पंचण्ह साइ वज्जा सेसा सब्बेसु दुविगप्पा ॥ ६६९ ॥ मिच्छपञ्चसंग्रहे | तस्स चउद्धा धुवोदयाणं तिहा उ अजहण्णा । सेसविगप्पा दुविहा सव्वविगप्पा उ सेसाण ।। ६७० ॥ सामित्तद्धाछेया इह ठिइ | संकमेण तुल्लाओ । बाहुल्लेण विसेसं जं जाणं ताण तं वोच्छं ॥६७१ ॥ अंतोमुहत्तहीणा सम्म मिस्संमि दोहि मिच्छस्स । ॥३२३॥ आवलिवुगेण हीणा बन्धुकोसाण परमठिई ।। ६७२ ॥ मणुयाणुपुधिआहारदेवदुगसुहमविगलतियगाणं । आयावस्स य परिवड णमंतमुहुहीणमुकोसा ॥ ६७३ ।। हयसेसा तित्थठिई पल्लासंखेज्जमेत्तिया जाया। तीसे सजोगिपढमे समए उद्दीरणुकोसा ॥ ६७४ ।। भयकुच्छआयवुज्जोयसव्वघाईकसायनिहाण । अतिहीणसंतबन्धो जहण्णउद्दीरगो अतसो ॥ ६७५ ॥ एगिदियजोगाणं पडिवक्खा बंधिऊण तव्वेई । बन्धालिचरमसमए तदागए सेसजाईणं ॥ ६७६ ॥ दुभगाइणीयतिरिदुगअपढमसंघयण| नोकसायाणं । मणुपुवऽपज्जतइए सन्निस्सेवं इगागयगे ॥ ६७७ ॥ अमणागयस्स चिरठिइते देवस्स नारयस्सा वा । वेउव्वं| गगईणं अणुपुवीण तइयसमये ॥ ६७८ ।। वेयतिगं दिहिदुगं संजलणाणं च पढमगठितीए। समयाहिगालियाए सेसाए उवसमे| वि दुसु ॥ ६७९ ।। एगिंदागय अइहीणसंत सण्णी मीस उदयंते । पवणो सठिइजहण्णग समसंत विउब्वियस्संते ॥ ६८० ॥ चउरुवसमित्तु मोहं मिच्छं खविउं सुरोत्तमो होउं । उक्कोससंजमते जहण्णगाहारगदुगाणं ॥ ६८१ ॥ खीणताणं खीणे मिच्छत्तक- मेण चोद्दसई पि । सेसाण सजोगते भिन्नमुहुत्तट्टिईगाणं ।। ६८२ ॥ इति स्थित्युदीरणा ।। CERIES RDC REACTERROR ॥३२३॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020535
Book TitlePanchashak Mulam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1928
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy