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कर्मप्रकृती गोउत्तमस्स देवा नरा य वइगो चउण्हमियरासि । तबइरित्ता तित्थगरस्स उ सबन्नुयाए भवे ।।२४०॥ इंदियपज्जत्तीए दुसमय- उदीरणा
| पज्जत्तगाए पाउग्गा । निद्दापयलाणं खीणरागखवगे परिच्चज्ज ॥ २४१ ॥ निहानिदाईणवि असंखवासा य मणुयतिरिया य । करणं ॥२६९॥
| वेउव्वाहारतणू वज्जित्ता अप्पमत्ते य ॥ २४२ ॥ वेयणियाण पमत्ता ते ते बंधतगा कसायाणं । हासाइछक्कस्स य अपुवकरणस्स चरमंते ॥ २४३ ॥ जावूणखणो पढमो सुहरइहासाणमेवामियरासिं । देवा नेरइयापि य भवट्टिई केइ नेरइया ॥ २४४॥ पंचण्हं च चउण्डं बिइए एक्काइ जा दसहं तु । तिगहीणाई मोहे मिच्छे सत्ताइ जाव दस ॥२४५॥ सासणमोसे नव अविरए य छाई परम्मि | पंचाई । अट्ट विरए य चउराइ सत्त छच्चोवरिल्लंमि ॥२४६|| अनियट्टिम्मि दुगेगं लोभो तणुरागेगो(गएग) चउवीसा । एक्कगछक्केकारस | दस सत्त चउक्क एकाओ ॥२४७॥ एग बियाला पण्णाइ मत्तपण्णत्ति गुणिसु नामस्स | नव सत्त तिनि अट्ट य छप्पंच य अप्पमत्ते
| दो ।। २४८ ॥ एगं पंचसु एकम्मि अट्ठ ढाणक्कमेण भंगावि । एक्कग तीसेक्कारस इगवीस सवार तिसए य ।। २४९ ॥ इगवीसा दछच्च सया छहि अहिया नव सया य एगहिया । अउणुत्तराणि चउदस सयाणि गुणनउइ पंचसया ॥ २५० ॥ पंच नव नवगछ-15
काणि गईसु ठाणाणि सेसकम्मार्ण । एगेगमेव नेयं साहित्तगेगपगइउ ।। २५१ ॥ संपत्तिए अ उदए पओगओ दिस्सए उईरण सा। सेचीका ठिइहिंतो जाहिंतो तत्तिगा एसा ॥ २५२ ॥ मूलठिई अजहन्ना मोहस्स चउब्धिहा तिहा सेसा । वेयणियाऊण दुहा सेसविगप्पा उ सव्वासि ॥ २५३ ।। मिच्छत्तस्स चउद्धा अजहबा धुवउदीरणाण तिहा । सेस विगप्पा दुविहा सव्वविगप्पा य सेसाणंद ॥ २५४ ॥ अद्धाच्छेओ सामित्तंपि य ठिइसकमे जहा नवरं । तब्बेइसु निरयगईए वावि तिसु हिडिमखिइसु ॥ २५५ ॥ देवगति
18॥२६९॥ देवमणुयाणुपुब्बी आयाव विगलसुदुमातिगे । अंतोमुहुत्त भग्गा तावइगूणं तदुक्कस्सं ॥ २५६ ।। तित्थयरस्स य पल्लासंखिज्जइमे
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