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जीवसमासे है कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया । तं सागरोवमस्स उ एकस्स भवे परीमाणं ॥ १३२ ॥ एएण खेत्तसागरउवमाणेणं हवेज्ज नायव्वं । नोगुण ३ कालद्वारा पुढविदगअगणिमारुयहरियतसाणं च परीमाणं ॥१३३।। गुणनोगुणनिप्फनं गुणनिप्फनं तु वनमाईयं । नोगुणनिप्फनं पुण संखाणं
संख्याने ॥२४५॥
| नो य संखाण ॥१३४।। संखाणं पुण दुविहं सुयसंखाणं च गणणसंखाणं। अक्खरपयमाईयं कालियमुक्कालियं च सुयं ॥ १३५॥ संख्याता| संखेज्जमसंखज्ज अणतयं चेव गणणसंखाणं । संखेज्ज पुण तिविहं जहण्णयं मज्झिमुकोसं ॥ १३६ ॥ तिविहमसंखेज्जं पुण परित्त-18
परिन- संख्याता
नन्ताः जुत्तं असंखयासंखं । एकेकं पुण तिविहं जहण्णयं मज्झिमुकोस ।। १३७ ॥ तिविहमणतंपि तहा परित्त जुत्तं अणतयाणंतं । एक्क-13 दपिय तिविहं जहण्णयं मज्झिमुक्कोसं ॥१३८ । जंबुद्दीवो सरिसवपुण्णो ससलागपडिमिह]सलागाहिं । जावइअं पडिपूरे तावइ होइटू
संखेज्जं ॥ १३९ ॥ नोसंखाणं नाणं दंसण चरणं नयप्पमाणं च । पंच चउ पंच पंच य जहाणुपुब्बीए नायव्या ॥ १४० ॥ | पच्चक्खं च परोक्खं नाणपमाणं समासओ दुविहं । पच्चक्खमोहिमणकेवलं च पारोक्ख मइसुत्ते ॥ १४१ ।। इंदियपच्चक्खीप य दा अणुमाणं उवमयं च मइनाणं । केवलिभासियअस्थाण आगमो होइ सुयनाणं ॥ १४२ ॥ चक्खुइंसणाई सण चरणं च सामइय| माई । नेगमसंगहववहारुज्जुसुए चेव सद्द नया ॥ १४३ ॥
मिच्छादब्वमणंता कालेणोसप्पिणी अणताओ । खेत्तेण मिज्जमाणा हवंति लोगा अणंताओ॥ १४४ ॥ एगाईया भज्जा सासायण तहय सम्ममिच्छा य । उकोसेणं दुण्हवि पल्लस्स असंखभागो उ ॥ १४५ ।। पल्लाऽसंखियभागो अविरयसम्मा य देस
14॥२४५|| विरया य । कोडिसहस्सपुहुत्तं पमत्त इयरे उ संखेज्जा ॥ १४६ ।।एगाइय भयणिज्जा पवेसणेणं तु जाव चउपना । उवसामगोव|संता अद्ध पइ जाव संखेज्जा ॥ १४७ ॥ खवगा उ खीणमोहा जिणा उ पविसन्ति जाव अट्ठसयं । अद्धाए सयपुहुसं कोडिपुहुणे
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