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दशशास्त्रीय उपदेश पदे
सत्य गोष्टिक सुदर्शन धर्मनन्दि रोगहरण दृष्टान्ताः
॥१७५॥
यवोत्ति ॥ ५१५॥ १। वडवहे सच्चो खलु वणियसुओ सावगोत्ति विक्खाओ । भाइसमं पारसकुलं गंतु आगच्छमाणाणं ॥ ५१६॥ | अण्णेहिं समं पासण तिमिगिलस्सा जलोवरिठियस्स। ते मच्छोऽतिमहल्लो भणंति भाया उ दीवोति ॥ ५१७॥ सव्वस्सेणं जूयं पडिसेह बलाउ तस्स करणंति । णिज्जामगग्गिजालण बुह तह कुलउप्पत्ती ॥५१८॥ मग्गण विप्पडिवत्ती राउलववहार सक्खिभास-G णया । मिलियत्ति निवपरिच्छा पूजा सहिम्मि जाणणया ।। ५१९ ॥ पूजा महंत सेट्ठिम्मि जोग्गया इच्छ आवकहियत्ति । वीमसाए मुयणं वाणियगेणंपि रित्थस्स ।।५२०।।२। दक्षिणमहुरा गोट्ठी एगो सड्ढोत्ति वच्चए कालो । तत्थन्नया उ पइरिक थेरिगेहम्मि मुसणा य ॥ ५२१ ।। णो सड्डे थेरिपावडण लंछणा मोरापच्छरसरण । सावगभागागहणं गोट्ठी परिवज्जणा भावो ॥५२२॥ थेरीऍ रायकहणं गोट्ठाहवणमणागमो उ सड्डस्स । एत्तिय विसेसकहणे आहवणमचिंधगो नवरं ।। ५२३ ॥ पुच्छण चिंता गोट्ठी कइया अज्जेव किमिति एमेव । चोरिय पसिणे खुद्धा सव्वे ण उ सावगो नवरं ।। ५२४ ॥ रन्नो भावपरिन्ना विसेसपुच्छाए भूयसाहणया । निग्गह पूजा उ तहा दोण्हवि गुणदोसभावणं ॥ ५२५ ।। ३। कोसंबीए सड्ढो सुदंसणो नाम सेट्टियुत्तोत्ति । देवी संववहारे दंसणओ तीएँ अणुरागो ।। ५२६ ॥ चेडी पेसण पीती तुमम्मि जइ सच्चयं ततो धम्मं । कुणसु विसुद्धं एवं एसा जं होइ सफलत्ति ॥५२७|| रायनिवेयण दोसो एसो सपराण निरयहेउत्ति । एमाइ धम्मदेसण पडिमाए आगमुवसग्गो ॥ ५२८ ॥ तत्तो पओस रन्नो माइट्ठाण कहणाएँ गेण्हणया। पडिकूलकयत्थणपत्थणाहिं खुहिओ न सोधीरो ।। ५२९ ।। देवीएँ सप्पभक्खण जीवावण देसणाए संबोही । चेतीहरकारावण विरमणमो चेव पावाओ ॥५३०।। ४। णासेक्के गंददुर्ग एगो सड्डोऽवरो उ मिच्छत्तो । रायतलागणिहाणग सोवण्णकुसाण पासणया ॥ ५३१ ॥ तह किट्टलोहमयगा अजच कम्मकर गहण विकिणणं । सड्डपरिणाणऽग्गह इच्छापरिमाणभंगभया |
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