________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
दशशास्त्रायणवरं रिजुभावो तत्थ पढमगो सम्म । बिदिओ पुण मायावी किरियाजुत्तो उ तह चेव ॥ २७६ ॥ किरियाए अइसंधति इतरं मायाएँ है। मोहपति उपदेश पदे तग्गयाए उ । एवं पायं कालो संलहणमा उ सोहम्मे ।। २७७ ।। अम्भितरपरिसाए पणपलियाऊ महिड्डिया जाया । आमलकप्पोस
अर्हद्दत्तः रणे गट्टविहि विवजओ तेसिं ॥२७८।। एवं विउचइस्सं एवं चिय तत्थ होति एक्कस्स । इयरस्स उ विवरीय जाणगपुच्छा गणहरस्स ॥१६॥ ॥२७९ ॥ भगवंत कहण मायादोसो किरियागतो उ एसोत्ति । अणुगामिओ य पायं एवं चिय कइवि भवगहणे ॥ २८० ॥ विव
|रीयविगलकिरियानिबंधणं जं इमस्स कम्मति । एवंविहकिरियाओ उ हंदि एतं तदुप्पनं ॥ २८१ ।। ता कइयवि भवगहणे सबल
एयस्स धम्मणुट्ठाणं । थेवोऽविऽसदब्भासो दुक्खेणमवेति कालेण ।। २८२ ॥ जरखलणाए सरिसं पडिबंधमिमस्स आहु समयण्णू ।। | तत्तो भावाराहणसंजोगा अविगलं गमण ।। २८३ ।। २एलउ जियसत्तू पुत्तो अवराजिओ य जुवराया। विदिओ य समरकेऊ कुमारभुत्तीऍ उजेणी ॥ २८४ ॥ पञ्चंतविग्गहजए आगच्छंतस्स नवरि जुवरन्नो । राहायरियसमीचे धम्मभिवत्तीऍ णिक्खमणं ॥२८५॥ तगराविहार उजेणीओ तत्थजराहसाहूणं । आगमणं पडिवत्ती विहारपुच्छा उचियकाले ॥ २८६ ॥ रायपुरोहियपुत्ता अभद्दगा तकओ उ उवसग्गो। सेसो उ निरुवसग्गो तत्थ विहारो सति जइणं ॥२८७॥ अवराजियस्स चिंता पमत्तया भाउणो महादोसा । तह | चेव कुमाराणं अणुकंपा अत्थि मे सत्ती ॥ २८८॥ गुरुपुच्छ गमण संपत्ति पवेसो वंदणादि उचियठिई । सति कालुग्गाहणमच्छणं
खु अहमत्तलद्धी उ ॥२८९॥ ठवणकुलादिनिदसण पडिणीयगिहम्मि धम्मलाभोत्ति । अंतेउरियासत्रणमवहेरि कुमारगागमणं ॥२९०॥ पढमं दुवारघट्टण वंदण णच्चाहि तत्थ सो आह । कह? गीयवाइएणं भणंति अम्हे इमं कुणिमो ॥ २९१ ॥ आरंभविसमतालं अकोवकोवेण एव णच्चामि । कड्डण जयणनिउर्दू, चित्तालिहियव्य सादुगमो ॥२९२॥ पीडंतराय न अडण पइरिके चिंत सोहणनिमित्तं ।
ACHCCC
For Private and Personal Use Only